सत्य को सुनना ही पर्याप्त नहीं होता अपितु सत्य को चुनना भी जरूरी है। सत्य की चर्चा करना एक बात है और सत्य की चर्या बन जाना एक बात है। आदर्शों का वाणी का आभूषण मात्र बनने से कल्याण नहीं होता, आदर्श आचरण के रूप घटित हो,तब कल्याण निश्चित है।
सत्य को सुनना ही पर्याप्त नहीं होता अपितु सत्य को चुनना भी जरूरी है। सत्य की चर्चा करना एक बात है और सत्य की चर्या बन जाना एक बात है।…