पुलिस के मुताबिक, 18 अगस्त को महिला के पास एक कॉल आई. कॉलर ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताया. उसने कहा कि महिला के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया जा रहा है. उसने महिला को किसी को कुछ भी न बताने की धमकी दी. उसने कहा कि इस केस को केंद्रीय एजेंसियों को ट्रांसफर किया जा रहा है.
इसके बाद खुद को ऑफिसर एसके जायसवाल बताने वाले शख्स ने महिला से बैंक डिटेल्स लीं और उसकी जिंदगी से जुड़ा दो से तीन पेज का निबंध तक लिखवाया. जालसाजों ने भरोसा दिलाया कि उन्हें महिला की बेगुनाही पर यकीन है. वे उसकी जमानत सुनिश्चित कराएंगे. इसी बीच महिला को वीडियो कॉल के जरिए एक व्यक्ति के सामने पेश किया गया.
उस व्यक्ति ने खुद को ‘जस्टिस चंद्रचूड़’ बताया. फर्जी ऑनलाइन कोर्ट हियरिंग में महिला से वेरिफिकेशन के नाम पर उसकी निवेश से जुड़ी तमाम जानकारियां मांगी गईं. ‘डिजिटल अरेस्ट’ हो चुकी महिला ने दो महीनों के भीतर अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में कुल 3.75 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद अचानक फोन कॉल आने बंद हो गए.

उन्होंने कहा, “आरोपी ने जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने का दावा किया और महिला से उसके बैंक विवरण मांगे। उसने अधिकारी एस. के. जायसवाल बनकर पीड़िता से उसके जीवन पर दो-तीन पन्नों का एक निबंध भी लिखवाया। बाद में आरोपी ने कहा कि वह महिला की निर्दोषता से सहमत है और उसे जमानत दिलाने में मदद करेगा।
अधिकारी ने बताया, “इसके बाद साइबर अपराधियों ने महिला को वीडियो कॉल के माध्यम से एक अदालत कक्ष में पेश किया, जहां एक व्यक्ति ने खुद को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ बताया। निवेश के सत्यापन के नाम पर उससे विवरण मांगा गया, जिसके बाद पीड़िता ने दो महीनों में कई बैंक खातों में कुल 3.71 करोड़ रुपए स्थानांतरित कर दिए।












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