बागपत//बड़ौत नगर में आचार्य श्री नयन सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में मान स्तंभ पर भगवान श्री आदिनाथ जी भगवान की चार प्रतिमाए विराजमान हुई।विवेक जैन।बागपत, उत्तर प्रदेश

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हर्षाेल्लास के साथ मानस्तंभ पर विराजे भगवान श्री आदिनाथ

बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन।darshansamikhya. in

बड़ौत नगर में आचार्य श्री नयन सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में मान स्तंभ पर भगवान श्री आदिनाथ जी भगवान की चार प्रतिमाए विराजमान हुई। भगवान के मान स्तंभ पर विराजित होने पर समूचे भारत वर्ष की जैन समाज में हर्ष की लहर दौड़ गई। सुबह से ही मानस्तंभ परिसर में जैन श्रद्धालुओं के साथ ही भारी पुलिस बल तैनात था। राज्यमंत्री के पी मालिक, नगर पालिका अध्यक्ष के पति अश्वनी तोमर कार्यक्रम में उपस्थित रहे, उन्होंने आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। एडीम बागपत के साथ-साथ थानाध्यक्ष मनोज चाहल फोर्स के साथ पैड के पास उपस्थित थे । मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि दिगंबर जैन कॉलेज सचिव धनेंद्र जैन के निर्देशन में आचार्य श्री पंडित अशोक शास्त्री सहित 10 लोग ही 51 फिट ऊंची पैड द्वारा ऊपर पहुंचे और मंत्रोच्चार के मध्य आदिनाथ भगवान की चार जिन प्रतिमाए विराजमान की। प्रतिमा विराजमान करने का सौभाग्य सुरेंद्र कुमार अजित जैन, अमित जैन और अनुज जैन को प्राप्त हुआ। कलशारोहण प्रदीप कुमार पराग जैन द्वारा किया गया। उससे पूर्व ऋषभदेव सभागार में आचार्य श्री नयन सागर जी महाराज के सानिध्य में सौधर्म इंद्र रोहन जैन के नेतृत्व में जैन श्रद्धालुओं ने विश्व शांति महायज्ञ किया तथा अग्नि में इस भावना से आहुति दी कि आदिनाथ भगवान की जिन प्रतिमा मानस्तंभ पर निर्विघ्न रूप से विराजमान हो। दिगंबर जैन हाई स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष धन कुमार जैन, सचिव डीके जैन, प्रबन्धक राकेश जैन, वीरेंद्र पिंटी, राकेश भाजपा एवं समस्त प्रबंध समिति ने सभी अतिथियों और सहयोगी संस्थाओं का प्रतीक चिह्न देकर सम्मान किया। इस अवसर पर इंद्रगण आयुष जैन, अजय जैन, वैभव जैन, सुधीर जैन, राजेश जैन, अर्धम जैन, सामग्री प्रदाता रोशनलाल अमित जैन, भोजन दातार सुरेंद्र कुमार जैन मटिया परिवार, प्रवीण जैन अध्यक्ष, राकेश काके, आनंद जैन, दिनेश जैन, अरविंद मुन्ना, संजय वनस्थली, विमल जैन, सुखमाल जैन भी उपस्थित थे। इस अवसर पर बोलते हुए आचार्य श्री नयन सागर जी महाराज ने कहा कि कार्यक्रम के प्रारंभ में झंडारोहण पूर्व से होता हुआ ईशान उत्तर की ओर गया,जो कि काफी शुभ संकेत था। पूरे भारत के समस्त आचार्यों और समूची जैन समाज की यही भगवान से प्रार्थना थी कि भगवान अपने मान स्तंभ पर विराजे। 28 जनवरी 25 को अशुभ कर्मों के उदय के कारण जैन समाज में भारी क्षति हुई लेकिन अब भगवान के अपने स्थान में विराजमान होने पर समस्त समाज में धर्म वृद्धि होगी एवं सुख की प्राप्ति होगी। चातुर्मास का समय पूर्ण हो गया है। सभी श्रद्धालु देव शास्त्र गुरु में अपनी आस्था बनाए रखे और अपने मानव जीवन को सफल बनाए। कार्यक्रम के शुभ समापन के बाद आचार्य श्री 17 नवंबर को दोपहर 2.30 बजे बावली के लिए मंगल विहार करेंगे।

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