शेरशाह सूरी ने सूर साम्राज्य की स्थापना की, हुमायूँ को हराकर दिल्ली पर कब्ज़ा किया और एक कुशल प्रशासक और सेनापति साबित हुए। उन्होंने कई प्रशासनिक सुधारों को लागू किया, जिसमें ग्रैंड ट्रंक रोड (GT Road) का निर्माण, डाक व्यवस्था को व्यवस्थित करना और ‘रुपया’ नामक चांदी का सिक्का जारी करना शामिल है।
मुख्य उपलब्धियां:
सूरी साम्राज्य की स्थापना: 1540 में चौसा और बिलग्राम की लड़ाई में हुमायूँ को हराकर उत्तर भारत में सूर साम्राज्य की नींव रखी।
प्रशासनिक सुधार:
एक प्रभावी और जवाबदेह नौकरशाही की स्थापना की।
किसानों के लिए एक व्यवस्थित राजस्व प्रणाली बनाई।
बुनियादी ढांचे का विकास:
ग्रैंड ट्रंक रोड: ढाका से पेशावर तक एक विशाल सड़क का निर्माण करवाया, जिसे आज जीटी रोड के नाम से जाना जाता है।
सराय: यात्रियों के लिए पूरे साम्राज्य में सराय (सराय) और कुएं बनवाए गए।
पेड़: सड़कों के किनारे छाया के लिए पेड़ लगवाए।
आर्थिक और मौद्रिक सुधार:
रुपया: चांदी का सिक्का ‘रुपया’ जारी किया, जो आज भी भारतीय मुद्रा का आधार है।
अन्य सिक्के: सोने के ‘मोहर’ और तांबे के ‘दाम’ भी चलाए।
सीमा शुल्क: माल के आगमन और विक्रय पर सीमा शुल्क लगाया।
सैन्य सुधार:
कुशल सैन्य प्रशासन और नई सैन्य व्यवस्था की स्थापना की।
अपने शासनकाल में पंजाब, मालवा, सिंध, मुल्तान और बुंदेलखंड जैसे कई क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की।
अन्य योगदान:
किला: दिल्ली में पुराना किला और पाकिस्तान में रोहतास किला जैसे कुछ महत्वपूर्ण निर्माण किए।
सासाराम का मकबरा: बिहार के सासाराम में अपना मकबरा बनवाया, जिसे वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना माना जाता है।
 

शेरशाह सूरी ने भू-राजस्व प्रणाली में कई महत्वपूर्ण सुधार किए थे। उन्होंने भूमि की पैमाइश और अभिलेखन कराया, मिट्टी की उर्वरता के आधार पर भूमि को तीन श्रेणियों में बाँटा और भू-राजस्व की दरें तय कीं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने किसानों और सरकार के बीच सीधा संबंध स्थापित करने के लिए ‘पट्टा’ और ‘कबूलियत’ जैसी प्रणालियों की शुरुआत की। 
भूमि का सर्वेक्षण और वर्गीकरण: शेरशाह ने भूमि का व्यवस्थित सर्वेक्षण कराया और गुणवत्ता के आधार पर उसे उत्तम, मध्यम और निम्न श्रेणियों में विभाजित किया।
स्थायी राजस्व दरें: उन्होंने उपज के आधार पर भू-राजस्व की दरें निर्धारित कीं, जो किसानों के लिए एक अनुमानित और स्थिर राशि थी।
पट्टा और कबूलियत: उन्होंने ‘पट्टा’ (एक आधिकारिक दस्तावेज) और ‘कबूलियत’ (एक समझौता दस्तावेज) की प्रणाली शुरू की, जिससे किसान और सरकार के बीच सीधा संबंध स्थापित हुआ।
किसानों का कल्याण: शेरशाह ने यह सुनिश्चित किया कि सेना की गतिविधियों से फसलों को नुकसान न हो और उन्होंने किसानों की समृद्धि को प्राथमिकता दी।
अभिलेखों का रखरखाव: उन्होंने विस्तृत भूमि अभिलेख बनाए रखे और राजस्व की मांग को पारदर्शी और स्थिर बनाया। 
इन सुधारों ने मुगल प्रशासन के लिए एक मिसाल कायम की, और अकबर ने शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली को अपने शासन में आदर्श के रूप में अपनाया।












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