हमारा अस्तित्व
हमारे कर्म से है
किसी के नजरिए से नही।
धर्म चाहे जो भी हो*
अच्छे इंसान बनो
“हिसाब” हमारे “कर्म” का,
होगा , “धर्म” का नहीं ..।।
जीवन में जब भी*
उथल-पुथल हो रही है..
तो परेशान होने के बजाय
यह याद रखें कि
शायद परिस्थितियां आपको
वह सब देने के लिये..
स्वयं को व्यवस्थित कर रही हैं..
जिसके आप पात्र हैं..
ध्यान रखिये!!!….. गया हुआ “धन” फिर से प्राप्त हो सकता है,पर गया हुआ “समय” लौट कर वापिस नहीं आ सकता!!!
“समय” को धन की तरह तिजोरी में बंद करके भी नहीं रख सकते!!!
अत: हर समय सावधान रहकर “समय” की कद्र एवं सदुपयोग कीजिये!!!
पाप एक ऐसी वस्तु है जो खरीदने में बहुत सस्ती लगती है लेकिन इसकी किस्ते कई पीढ़ियों तक उतारते उतारते गुजर जाती है।
अक्सर आप उस पल की कीमत नहीं समझते,जब तक वो एक याद नहीं बन जाता