दिल्ली
अगर आप शादीशुदा थीं तो बार-बार होटल क्यों गईं… बॉयफ्रेंड को फंसा रही थी महिला, खुद फंस गई
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में सुनवाई करते हुए एक शादीशुदा महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने एक व्यक्ति पर शादी का झूठा वादा कर शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया था। महिला चाहती थी कि आरोपी की अग्रिम जमानत रद्द की जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ उसकी याचिका खारिज की बल्कि उल्टा उसे ही कानूनी चेतावनी दे दी।
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि महिला एक विवाहित और परिपक्व महिला है, जिसके दो बच्चे हैं। कोर्ट ने सवाल उठाया कि यदि वह शादीशुदा थी तो बार-बार आरोपी के कहने पर होटलों और रेस्ट हाउस में क्यों गई? कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि वैवाहिक जीवन के दौरान किसी अन्य व्यक्ति से संबंध बनाए गए हैं, तो महिला के खिलाफ भी मामला बनता है।
महिला के वकील ने दलील दी कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर लगातार संबंध बनाए, लेकिन बेंच ने कहा कि महिला समझदार है और उस रिश्ते की प्रकृति को समझती थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला ने खुद स्वीकार किया है कि वह आरोपी के कहने पर पति से तलाक लेने को तैयार हुई थी, जो 6 मार्च को मंजूर भी हुआ। तलाक के महज दो सप्ताह बाद जब आरोपी ने शादी से इनकार किया, तभी महिला ने प्राथमिकी दर्ज कराई।
पटना हाईकोर्ट ने यह पाया कि तलाक के बाद दोनों के बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने, इस आधार पर आरोपी अंकित बरनवाल को अग्रिम जमानत दे दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को सही मानते हुए महिला की याचिका खारिज कर दी।
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