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अश्वत्थामा महाभारत के एक प्रमुख पात्र हैं, जो कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। उन्हें एक शक्तिशाली योद्धा और धनुर्धर के रूप में जाना जाता है.

महाभारत के युद्ध में उन्होंने कौरवों की ओर से युद्ध किया था, और उन्हें श्री कृष्ण ने एक शाप दिया था जिससे वे अमर हो गए और भटकते रहते हैं. 

पिता: द्रोणाचार्य (गुरु द्रोणाचार्य) 
माता: कृपी 
महाभारत युद्ध में भूमिका: कौरवों की ओर से योद्धा 
अमरता का शाप: श्री कृष्ण द्वारा दिए गए शाप के कारण, वे अमर हैं और भटकते रहते हैं. 
अन्य विवरण: अश्वत्थामा को भगवान शिव के वरदान से भी अमरता प्राप्त हुई थी, और उन्हें एक दिव्य मणि मिली थी जो उन्हें अजेय बनाती थी. 
अश्वत्थामा के पाप की वजह:
अश्वत्थामा ने अपने मित्र दुर्योधन का बदला लेने के लिए पांडवों को मारने का प्रण लिया था. 
अश्वत्थामा ने द्रौपदी के वस्त्रहरण के दौरान दुर्योधन का समर्थन किया था. 
अश्वत्थामा ने घटोत्कच के पुत्र अंजनपर्वा का वध किया था. 
अश्वत्थामा ने द्रुपदकुमार, शत्रुंजय, बलानीक, जयानीक, जयाश्व, और राजा श्रुताहु का भी वध किया था. 
श्रीकृष्ण ने दिया श्राप:
श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को गुस्से में आकर चिरकाल तक धरती पर कोढ़ी बनकर भटकने का श्राप दिया था. 
यह श्राप मौत से भी ज़्यादा खतरनाक था. 
इस श्राप से बचने का कोई रास्ता नहीं था. 
कहा जाता है कि अश्वत्थामा आज भी भटक रहा है. कुछ लोगों ने बुरहानपुर के प्रचीन किले के खंडहरों में उसे देखा जाने का भी दावा किया है. 
अश्वत्थामा की मृत्यु नहीं हुई थी। बल्कि, भगवान कृष्ण ने उसे एक श्राप दिया था जिसके कारण वह अमर हो गया था. इसके बाद से, वह धरती पर भटकता रहता है और कलयुग के अंत तक जीवित रहेगा. 
महाभारत के युद्ध में, अश्वत्थामा ने अपने गुरु द्रोणाचार्य के अपमान का बदला लेने के लिए पांडवों के खिलाफ युद्ध किया था. उसने पांडवों के पुत्रों का वध किया था और ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया था, जिससे उसे श्राप मिला. द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद, अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पुत्रों को भी मार दिया था. यह सुनकर भगवान कृष्ण ने उसे श्राप दिया था कि वह कलयुग के अंत तक जीवित रहेगा और धरती पर भटकता रहेगा. 
अश्वत्थामा के बारे में कई कहानियाँ और मान्यताएँ हैं। कुछ लोग मानते हैं कि वह अभी भी जीवित है और कलयुग के अंत तक भटकता रहेगा. कुछ लोग उसे एक रहस्यमय योद्धा के रूप में मानते हैं जो धरती पर आज भी मौजूद है. महाभारत की कहानियों के अनुसार, अश्वत्थामा को अमरता का वरदान मिला था और वह कलयुग के अंत तक जीवित रहेगा. 

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