श्रवण कुमार की कहानी एक ऐसी कहानी है जो माता-पिता के प्रति पुत्र के अटूट प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को काँवड़ में बिठाकर तीर्थ यात्रा पर ले जाने के लिए एक अनोखा और समर्पित प्रयास किया.
कहानी:
श्रवण कुमार की भक्ति:
श्रवण कुमार अपने माता-पिता से बेहद प्रेम करते थे, जो अंधे थे. उन्होंने उन्हें तीर्थ यात्रा पर ले जाने का फैसला किया, क्योंकि वे उन्हें पवित्र स्थानों के दर्शन कराना चाहते थे.
काँवड़ यात्रा:
श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को काँवड़ में बिठाकर तीर्थ यात्रा की योजना बनाई, क्योंकि वे उन्हें परिवहन का खर्च नहीं उठा सकते थे.
राजा दशरथ और तीर:
जब श्रवण कुमार यमुना नदी से पानी भरने गए, तो राजा दशरथ, जो शिकार पर निकले थे, ने उन्हें हिरण समझकर तीर चला दिया.
श्रवण की मृत्यु और माता-पिता का श्राप:
श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई, जिससे उनके माता-पिता को गहरा दुख हुआ. उन्होंने राजा दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप दे दिया, जिसके कारण राम को वनवास हुआ और दशरथ ने पुत्र वियोग में प्राण त्याग दिए.
श्रवण कुमार की मृत्यु का स्थान:
श्रवण कुमार की मृत्यु यमुना नदी के किनारे हुई, जहाँ राजा दशरथ ने उन्हें तीर मारा था.
निष्कर्ष:
श्रवण कुमार की कहानी माता-पिता के प्रति पुत्र के अटूट प्रेम और भक्ति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है. यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए और उनकी खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहना चाहिए.

राजा दशरथ की मृत्यु,
रामायण के अनुसार, पुत्र राम के वनवास के समाचार से दुखी होकर हुई थी, और उन्हें एक शाप भी याद था जो उन्हें बूढ़े अंधे दंपत्ति ने दिया था।
पुत्र वियोग:
रामायण के अनुसार, राजा दशरथ को अपने पुत्र राम के वनवास का समाचार सुनकर गहरा दुख हुआ.
शाप:
दशरथ को एक शाप भी याद आया था जो उन्हें एक बूढ़े अंधे दंपत्ति ने दिया था, क्योंकि दशरथ ने अनजाने में उनके पुत्र को मार दिया था.
मृत्यु:
दशरथ राम से बिछड़ने के दुःख में बेचैन थे और उन्हें आभास होने लगा था कि अब उनकी मृत्यु दूर नहीं है.
अंतिम संस्कार:
दशरथ की मृत्यु के बाद, भरत ने उनका अंतिम संस्कार किया, जबकि राम अपने पिता का वचन पूरा करने के लिए वनवास में थे.
मोक्ष:
कहते हैं कि मृत्यु के अंतिम क्षण तक राजा दशरथ भगवान श्रीराम को अयोध्या नरेश बनते देखना चाहते थे, इसलिए उन्हें मोक्ष नहीं प्राप्त हुआ था.