इक्ष्वाकुवंश प्रभवौ रामो नाम जनै: श्रुत:।
नियतात्मा महावीर्यो द्युतिमान धृतिमान वशी।
इक्ष्वाकुवंश प्रभवौ – श्रीराम इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न हुए हैं। इक्ष्वाकु वंश सूर्यवंशी राजाओं का प्रसिद्ध वंश है, जिसमें अनेक महान राजा हुए हैं। श्रीराम इसी प्रतिष्ठित वंश के एक गौरवशाली राजा हैं।
रामो नाम जनैः श्रुतः – वे “राम” नाम से प्रसिद्ध हैं, और संसार के लोग उन्हें इस नाम से जानते और सुनते आए हैं। उनका यश चारों दिशाओं में फैला हुआ है।
नियतात्मा – श्रीराम आत्मसंयम से युक्त हैं। वे अपने मन, इंद्रियों और भावनाओं को पूर्णतः वश में रखते हैं और किसी भी परिस्थिति में अपना धैर्य नहीं खोते।
महावीर्यः – वे महान पराक्रमी हैं। उनका शौर्य और वीरता अद्वितीय है, वे अजेय योद्धा हैं और असाधारण शक्ति के स्वामी हैं।
द्युतिमान् – वे अत्यंत तेजस्वी हैं। उनके व्यक्तित्व में दिव्य आभा और विलक्षण तेज है, जो उनकी दिव्यता और महानता को दर्शाता है।
धृतिमान् – वे अडिग धैर्य और सहनशीलता से युक्त हैं। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी वे अपने संकल्प और धैर्य को बनाए रखते हैं।
वशी – वे अपनी इंद्रियों और मन को पूर्णतः वश में रखने वाले हैं। मोह, क्रोध, लोभ आदि पर उनका पूर्ण नियंत्रण है, जिससे वे सदा धर्म के मार्ग पर चलते हैं।
सारांश:
श्रीराम के दिव्य गुणों से अलंकृत है। वे इक्ष्वाकु वंश में जन्मे, संपूर्ण जगत में राम नाम से विख्यात, आत्मसंयमी, महान पराक्रमी, तेजस्वी, धैर्यवान और अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने वाले आदर्श पुरुष हैं।
जय श्री राम।