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” आज का श्रीमद् भागवत भाव “

  • भागवत कहती है , कि कोई भी पापी व्यक्ति , फिर चाहे वह राजा हो या रंक , अपने किये हुए पापकर्मों के बुरे फल से बच नहीं सकता , क्योंकि –

. चित्रगुप्त करते रहें , कर्म सभी के नोट ।
किसके वे सत्कर्म हैं , किसके मन में खोट ।
भले करे सबको बता,या कर दरवाजे बन्द।
चित्रगुप्त – यम कैमरा , सदा चाक-चौबन्द।। और जब उसके सारे कर्म यमराज की नजरों में हैं , तो बचेगा कैसे ? शास्त्रों का स्पष्ट कहना है , कि जैसे हजारों गायों में से भी

. यथा धेनु सहस्त्रेसु , वत्सो गच्छति मातरम्।
तथा तच्च कृतं कर्म , कर्तार मनुगच्छति ।। बछड़ा अपनी माँ को पहचानकर उसी के थनों में मुँह डालता है , वैसे ही हर मनुष्य का कर्मफल , फिर चाहे वह अच्छा हो या बुरा , उस कर्ता को खोजकर उसे पकड़ ही लेता है । तदुपरांत वह चाहे या न चाहे , उनके फलों का भोग उसे भोगना ही पडता है )

  • अपने बूढे माँ – बाप की सेहत और सुविधाओं का ख्याल न रखकर , जो व्यक्ति अपने बुढापे में अपने बहू – बेटों से अपनी सेवा की इच्छा रखता है , वह खुली आँखों से स्वप्न देख रहा है । क्योंकि उसके बहू – बेटों ने अपनी आँखें बन्द थोड़े ही कर रखी हैं । वे उसके द्वारा अपने माता – पिता के साथ हो रहे व्यवहार को बडी बारीकी से देख रहे हैं , और वे जो देख रहे हैं , वही सीख भी रहे हैं । इसलिए वे भी उसे अपनी पलकों पर बिठाने वाले नहीं हैं , बल्कि उसके साथ वही करेंगे , जो उन्होंने पहले उसको करते देखा है । Means. जैसी करनी , वैसी भरनी । तभी तो कहा जाता है – कि साधारणतया लोग धर्माचरण , शास्त्र पढकर नहीं , बल्कि अपने से बडों को देखकर करते हैं ।
  • अपने घर में किसी भी प्रकार की अनैतिक यानी मैली कमाई लाकर जो व्यक्ति भविष्य में सुखी होना चाहता है , वह अपने आप को सब कुछ जानते हुए भी वैसे ही धोखा दे रहा है , जैसे कोई किसान सडे व घुने हुए वीज को खेत में बोकर लहलहाती फसल का सपना देख रहा हो । क्योंकि यह सोच कर्म सिद्धांत के विरुद्ध है । ऐसा न तो पहले कभी हुआ है , और न आगे कभी होने वाला है । ” न भूतो , न भविष्यति ” । ऐसे मनुष्य इस अनैतिक कमाई को इसलिये घर में लाते हैं , कि यदि कहीं औरों से पीछे रह गए , तो लोग क्या कहेंगे । यदि वे इसकी जगह यह भाव जाग्रत करलें , कि मुझे नर्क में पड़ा देखकर भगवान क्या कहेंगे , तो उनसे यह भूल कभी हो ही नहीं सकती । (क्रमशः ) (भाई रामगोपालानन्द गोयल “रोटीराम” )
    ऋषिकेश 9412588877,91 1832 1832
    Mail – ramgopalgoyal11@gmail.com

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