नर्मदाखण्ड के महान संत हनुमंत भक्त 116 वर्षीय परम पूज्य बाबा सियारामदास जी महाराज ने आज #मोक्षदाएकादशी की मंगलवेला के ब्रह्ममुहूर्त में महाप्रयाण किया। जिन लोगों को भीष्म पितामह की इच्छा मृत्यु का आख्यान काल्पनिक लगता है, सियाराम बाबा का परमधाम उनके लिए महान उदाहरण है कि अब भी धरती पर ऐसे महापुरुष हैं जिनके द्वार पर मृत्यु हाथ बांधकर खड़ी होती है, वह जब चाहें तभी कलेवर त्याग करें। कदाचित बाबा का वैकुण्ठवास पांच दिन पहले विवाह पंचमी पर ही होना था, जाने अनजाने में सैकड़ो लोग श्रद्धांजलि देने लगे थे। पर बाबा ने तय कर लिया था कि #विवाहपंचमी पर सभी रामभक्त #रामविवाह के आनन्द में मग्न हैं, इसलिए रंग में भंग करने से अच्छा है कि #मोक्षदाएकादशी आने वाली है दो चार दिन और रुक जाते हैं।
धन्य है भारतवर्ष की धरती जहाँ साकेतवासी पूज्य बाबा सियारामदास जी महाराज जैसे महापुरुष परोक्ष अपरोक्ष रूप से विराजते हैं।
कोटि कोटि नमन प्रणामाँजलि आदराँजलि श्रद्धांजलि ॐ शांति:..! जय सियाराम।