नौ जलचर दश गगनचर, ग्यारह कृमि वन बीस ।
चौरासी के फेर में , चार मनुज पशु तीस ॥
योनि का अर्थ प्रकार न कि संख्या।
9 लाख प्रकार के जलीय जीव, 10 लाख प्रकार के उड़ने वाले जीव, 11 लाख प्रकार के कीड़े, 20 लाख प्रकार के पेड़ पौधे वनस्पति, 30 लाख प्रकार के पशु और 4 लाख प्रकार के मनुष्य होते हैं। इन्हीं को 84 लाख योनि कहते हैं। और इन सबकी गणना कोई नहीं कर सकता। यही सृष्टि विस्तार है, और इन सबको उत्पन्न नियंत्रित और समाप्त वाले शक्तितत्व को ईश्वर परमेश्वर भगवान कहते हैं।