हम अपनी इंद्रियों पर नियंत्रित कैसे पा सकते हैं? इंद्रियों का राजा मन है मन पर नियंत्रण प्राप्त करते साथ इंद्रियों पर भी नियंत्रण प्राप्त हो जाता है। मन पर नियंत्रण प्राप्त करने की अनेकों विधियां हैं जिन्हें आध्यात्मिक साधना कहा जाता है जैसे ध्यान,जप, तप,भजन,सेवा इत्यादि।अपनी इंद्रियों पर नियंत्रित हैं हैं? इंद्रियों का राजा है मन पर नियंत्रण जप ध्यान जप, जप, तप, भजन, सेवा इत्यादि।
धन वैभव
मैंने एक कहानी पढ़ी थी आप भी पढ़िये:-
एक भिखारी किसी किसान के घर भीख
माँगने गया, किसान की स्त्री घर में थी उसने चने की रोटी बना रखी थी।
किसान आया उसने अपने बच्चों का मुख चूमा, स्त्री ने उनके हाथ पैर धुलाये, वह रोटी खाने बैठ गया।
स्त्री ने एक मुट्ठी चना भिखारी को डाल दिया, भिखारी चना लेकर चल दिया।
रास्ते में वह सोचने लगा:- “हमारा भी कोई जीवन है? दिन भर कुत्ते की तरह माँगते फिरते हैं, फिर स्वयं बनाना पड़ता है।
इस किसान को देखो कैसा सुन्दर घर है, घर में स्त्री हैं, बच्चे हैं।
अपने आप अन्न पैदा करता है, बच्चों के साथ प्रेम से भोजन करता है वास्तव में सुखी तो यह किसान है।
इधर वह किसान रोटी खाते-खाते अपनी स्त्री से कहने लगा:- “नीला बैल बहुत बुड्ढा हो गया है, अब वह किसी तरह काम नहीं देता यदि कही से कुछ रुपयों का इन्तजाम हो जाय तो इस साल काम चले।
साधोराम महाजन के पास जाऊँगा, वह ब्याज पर दे देगा।”
भोजन करके वह साधोराम महाजन के पास गया, बहुत देर चिरौरी बिनती करने पर 1रु. सैकड़ा सूद पर साधों ने रुपये देना स्वीकार किया।
एक लोहे की तिजोरी में से साधोराम ने एक थैली निकाली और गिनकर रुपये किसान को दिये।
रुपये लेकर किसान अपने घर को चला, वह रास्ते में सोचने लगा-”हम भी कोई आदमी हैं, घर में 5रु. भी नकद नहीं।
कितनी चिरौरी विनती करने पर उसने रुपये दिये, साधो कितना धनी है, उस पर सैकड़ों रुपये है “वास्तव में सुखी तो यह साधोराम ही है।
साधोराम छोटी सी दुकान करता था, वह एक बड़ी दुकान से कपड़े ले आता था और उसे बेचता था।
दूसरे दिन साधोराम कपड़े लेने गया, वहाँ सेठ पृथ्वीचन्द की दुकान से कपड़ा लिया।
वह वहाँ बैठा ही था, कि इतनी देर में कई तार आए कोई बम्बई का था