|द्रोपदी और सीता की तुलना
उज्जैन से-
सन्त जन कहते हैं क़ि महाभारत की द्रोपदी और रामायण की सीता,दोनों आर्य नारियों ने बहुत सहन किया l फर्क यह है कि एक ने बोलते हुए सहन किया और दूसरी ने मौन रहकर सहन किया l
द्रोपदी वाचाल है lसीता मौन है l द्रौपदी कृष्णा है,सीता श्वेता है l एक अग्नि से प्रकट हुई है द्रौपदी।और एक धरती से सीता l इसलिए अग्नि से दाहकता है द्रोपदी का व्यक्तित्व ।और पृथ्वी की सहनशीलता है,सीता में l
मौन रहकर सहन करने का गुण है सीता में ! तितिक्षा है सीता में ,एक को वरण के लिये अर्जुन को धनुष चढ़ाना पड़ा और दूसरी को बरण के लिए राम को धनुष तोड़ना पड़ा l द्रौपदी यदि मौन रहती तो महाभारत नहीं होता और सीता यदि बोलती तो रामायण नहीं होती l