भारत में प्राचीन काल में संस्कृत शिक्षा अक्सर गुरुकुल प्रणाली के तहत पेड़ों के नीचे या गुरु के आश्रम में दी जाती थी,
जहाँ छात्र प्रकृति के करीब रहकर शिक्षा प्राप्त करते थे; यह पारंपरिक शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसमें पेड़ सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि शिक्षा का अभिन्न अंग थे, जैसा कि Quora से पता चलता है.
गुरुकुल प्रणाली
भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली गुरुकुल पर आधारित थी, जहाँ छात्र गुरु के साथ उनके आश्रम या घर के पास रहते थे और वहीं शिक्षा प्राप्त करते थे.
प्राकृतिक वातावरण
पेड़ों के नीचे या खुले वातावरण में शिक्षा देना प्रकृति से जुड़कर सीखने का एक तरीका था, जो छात्रों के मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता था.
आवासीय शिक्षा
ये विद्यालय अक्सर आवासीय होते थे, जहाँ भोजन और रहने की व्यवस्था भी होती थी और इनका संचालन राजाओं, महाराजाओं या दानदाताओं के सहयोग से होता था.
आधुनिक उदाहरण
आज भी कुछ जगहों पर, जैसे कि राजस्थान के सैंसड़ा गाँव में मंगाराम उपाध्याय ने 1947 में पेड़ की छाया में संस्कृत स्कूल शुरू किया था, जो इस परंपरा की याद दिलाता है.
















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