अपना अमूल्य विचार, कुशल नेतृत्व दृढ़ आत्मविश्वासी श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर विनम्र अभिवादन ! उनके कुछ लोकप्रिय कविताओं के अंश जो आज भी देशभक्ति, संघर्ष, आशा और मानवीय भावनाओं—को दर्शाती हैं, और आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं.

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अपना अमूल्य विचार, कुशल नेतृत्व दृढ़ आत्मविश्वास श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर विनम्र अभिवादन !
अटल बिहारी वाजपेयी जी की कई प्रसिद्ध कविताएँ हैं, जिनमें “गीत नया गाता हूँ,” “मौत से ठन गई,” “आओ फिर से दिया जलाएँ,” “ऊँचाई,” और “हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा” प्रमुख हैं, जो उनके जीवन के संघर्ष, आशावाद और देशप्रेम को दर्शाती हैं, जिनमें वे टूटे सपनों से नई उम्मीद जगाने और कठिनाइयों से निडर होकर आगे बढ़ने की बात करते हैं.
कुछ लोकप्रिय कविताओं के अंश:
“गीत नया गाता हूँ”:
टूटते हुए सपनों की सुने कौन सिसकी,
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।
हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा,
काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूँ,
गीत नया गाता हूँ.
“मौत से ठन गई”:
ठन गई! मौत से ठन गई!
आज फिर से ठन गई!
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
कौन कहता है, मैं डर गया?
मौत से ठन गई.
“आओ फिर से दिया जलाएँ”:
भरी दोपहरी में अँधियारा, सूरज परछाई से हारा,
अंत रतन का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ.
“ऊँचाई”:
ज़रूरी यह है कि ऊँचाई के साथ विस्तार भी हो,
जिससे मनुष्य, ठूँट सा खड़ा न रहे, औरों से घुले-मिले,
किसी को साथ ले, किसी के संग चले।
ऊँचाई.
“कौरव कौन, कौन पांडव”:
रंक को तो रोना है, कौरव कौन-कौन पांडव?
टेढ़ा सवाल है, दोनों और शकुनि का फैला कूट जाल है।
धर्मराज ने छोड़ी नहीं जुए की लत है,
हर पंचायत में पाँचाली अपमानित है,
कोई राजा बने, रंक को तो रोना है.

ये कविताएँ उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं—देशभक्ति, संघर्ष, आशा और मानवीय भावनाओं—को दर्शाती हैं, जो आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं.

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