जोगेंद्र नाथ मंडल
(1904-1968) एक प्रमुख बंगाली दलित नेता थे, जिन्होंने भारत की अंतरिम सरकार में कानून मंत्री और बाद में पाकिस्तान के पहले कानून और श्रम मंत्री के रूप में कार्य किया, लेकिन अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और पाकिस्तानी प्रशासन के भीतर पूर्वाग्रह के कारण 1950 में इस्तीफा देकर भारत लौट आए, एक ऐसे नेता जो दलितों के अधिकारों के लिए लड़े और विभाजन के दौरान मुस्लिम लीग से जुड़े, अंततः गुमनामी में उनका निधन हो गया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म: 29 जनवरी, 1904, बाकरगंज (अब बांग्लादेश में)।
शिक्षा: ढाका और कलकत्ता विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की, मैकाले शिक्षा पद्धति से प्रभावित थे।
समुदाय: नामशूद्र समुदाय से थे और दलित अधिकारों के लिए संघर्ष करते थे।
राजनीतिक करियर
शुरुआत: उन्होंने कांग्रेस में शुरुआत की, लेकिन बाद में दलितों के लिए काम करने हेतु मुस्लिम लीग से जुड़ गए, जिससे बंगाल में दलित-मुस्लिम एकता मजबूत हुई।
बंगाल विधानसभा: 1937 में बंगाल विधानसभा के सदस्य चुने गए और सहकारी ऋण मंत्री बने।
भारत सरकार: 1946 में, उन्होंने डॉ. बी.आर. अंबेडकर के लिए अपनी सीट खाली की, जिससे अंबेडकर संविधान सभा के लिए चुने गए, और खुद भारत की अंतरिम सरकार में कानून मंत्री बने।
पाकिस्तान और मोहभंग
पाकिस्तान का निमंत्रण: जिन्ना के निमंत्रण पर वे पाकिस्तान चले गए और वहां के पहले कानून एवं श्रम मंत्री बने, संविधान सभा के अध्यक्ष भी बने।
मोहभंग: पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों के प्रति बढ़ते भेदभाव और प्रशासनिक पक्षपात से निराश होकर, उन्होंने लियाकत अली खान को इस्तीफा सौंपा (1950), जिसमें उन्होंने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की उपेक्षा का जिक्र किया।
भारत वापसी और अंतिम वर्ष
भारत लौटना: पाकिस्तान से लौटने के बाद वे भारत में गुमनामी में रहे।
मृत्यु: 5 अक्टूबर, 1968 को उनका निधन हो गया, एक ऐसे नेत












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