एक साथ मिलकर खाने से रिश्ते मजबूत होते हैं, संचार बेहतर होता है, मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है और बच्चों में अच्छी आदतें विकसित होती हैं, क्योंकि यह जुड़ाव, सुरक्षा और अपनेपन की भावना पैदा करता है;
सामाजिक और भावनात्मक लाभ
पारिवारिक बंधन और एकजुटता: यह परिवार के सदस्यों को जुड़ने, बातें करने, हँसने और एक-दूसरे को समझने का मौका देता है, जिससे अपनत्व की भावना बढ़ती है.
बेहतर संचार: डिजिटल विकर्षणों के बिना, यह परिवार और दोस्तों के बीच गहरे जुड़ाव और सार्थक बातचीत का समय होता है.
सुरक्षा और सुकून: जो बच्चे नियमित रूप से परिवार के साथ खाते हैं, वे अधिक प्यार, सुरक्षा और सुकून महसूस करते हैं.
मानसिक स्वास्थ्य: दोस्तों और परिवार के साथ भोजन करने से खुशी बढ़ती है और अकेलापन कम होता है.

गुजरात का चांदणकी (Chandanki) गाँव एक अनोखी जगह है जहाँ कोई घर में खाना नहीं बनाता; इसके बजाय, सभी ग्रामीण, खासकर बुजुर्ग, एक सामुदायिक रसोई में एक साथ भोजन करते हैं, जिसे गाँव के युवाओं ने शुरू किया है ताकि अकेलेपन और खाना बनाने की झंझट से मुक्ति मिल सके, जिससे एकता और आपसी जुड़ाव बढ़ता है।
स्थान

यह मेहसाणा जिले में स्थित है।
क्यों अनोखा है: अधिकांश युवा बेहतर अवसरों के लिए शहरों या विदेश चले गए हैं, जिससे गाँव में बुजुर्गों की संख्या अधिक है। इस समस्या के समाधान के लिए, उन्होंने सामूहिक रसोई की व्यवस्था की है।
कैसे काम करता है: गाँव के लोग, आमतौर पर 55-60 वर्ष या उससे अधिक आयु के, एक साथ एक रसोई में भोजन करते हैं।

किराए पर रसोइया खाना बनाते हैं और सभी मिलकर खाते हैं, जिससे उन्हें अकेलापन महसूस नहीं होता और घर में चूल्हा नहीं जलता।
लाभ: यह व्यवस्था न केवल खाना बनाने की परेशानी से मुक्ति दिलाती है, बल्कि गाँव वालों के बीच सामाजिक सद्भाव, एकता और अपनत्व की भावना को भी मजबूत करती है।
खर्च
इसके लिए एक मामूली मासिक शुल्क लिया जाता है, जिससे यह व्यवस्था चलती है।
यह गाँव अब देश भर में अपनी इस अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध हो गया है और यहाँ लोग इस व्यवस्था को देखने आते हैं।
















Leave a Reply