1981बैच के मेधावी आईएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला ने NRHM घोटाले से अपना करियर दांव पर लगा दिया. उन्होंने इसमें कई अनियमितताएं कीं और जेल भी गए. कैसे एक टॉपर बना भ्रष्टाचार का चेहरा?
नई दिल्ली (Pradeep Shukla IAS). प्रदीप शुक्ला, एक ऐसा नाम जो कभी 1981 बैच के सिविल सेवा टॉपर के रूप में मशहूर था, अब एक बड़े भ्रष्टाचार और पतन की कहानी बन चुका है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से फिजिक्स में प्रथम श्रेणी के मास्टर डिग्री धारक प्रदीप शुक्ला ने साधारण बैकग्राउंड से आकर यूपीएससी में टॉप रैंक हासिल की. मसूरी आईएएस एकेडमी में फाइनल प्रदर्शन के बाद वह बैच टॉपर की सूची में सेकंड रैंक पर खिसक गए थे.
उस समय किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि यह होनहार अधिकारी तीन दशक बाद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना करते हुए जेल में होगा.
उन्हें सीबीआई अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। 2015 में उन्हें स्वास्थ्य कारणों से सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली और बाद में उन्हें उनके पद पर बहाल भी कर दिया गया था। 2017 में उन्हें फिर से सशर्त जमानत मिली, जिसके तहत उन्हें चार सप्ताह के भीतर 72 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया था।
परिवार में भी कई IAS अधिकारी
प्रदीप शुक्ला का परिवार भी सिविल सेवा से जुड़ा रहा है। उनकी पत्नी, अर्चना शुक्ला, भी यूपी कैडर की एक आईएएस अधिकारी हैं। उनकी बेटी पौलोमी पाविनी शुक्ला को जनवरी 2013 में फर्जी वीजा मामले के सिलसिले में दिल्ली हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था, हालांकि वह पेशे से वकील हैं। उनके दामाद प्रशांत शर्मा भी 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उत्तर प्रदेश कैडर में ही कार्यरत हैं।












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