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(१) मैं प्राणी हिंसा से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूं। इस rule.. में यह बताया गया है कि मानवमात्र को ही नहीं बल्कि किसी भी जीव-जंतुओं को हानि नहीं पहुंचाना चाहिये। इस rule का सकारात्मक अंग “मैत्री ” है अर्थात प्राणी हिंसा से विरत रहकर उनसे मैत्री और भाईचारा बनाएं रखना चाहिये।
(२) मैं बिना किसी की अनुमति से उनकी कोई चीज नहीं लूंगा तथा चोरी से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूं। इस rule.. का सकारात्मक अंग चोरी से विरत रहकर दान का आचरण करना है। (३) मैं व्यभिचार से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूं। इस rule का सकारात्मक अंग “संतुष्टि ” है। व्यभिचार से विरत रहकर। कामवासनाओं पर नियंत्रण रखकर संतुष्टि का पालन करना चाहिये। (४) मैं झूठ-वचन से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूं। इस rule.. का सकारात्मक अंग “सत्यता ” है। असत्य वाणी से विरत होकर सत्यता का आचरण करना चाहिये। इस rule के पालन से वाणी, सार्थक, बुद्धि संगत तथा मधुर हो जाती है। (५) मैं सभी प्रकार के नशीले पदार्थों से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूं। इस rule का अर्थ है नशीले पदार्थों का सेवन न करना तथा दूसरे लोगों को भी न देना। इसका सकारात्मक अंग “स्मृति” जागृति है। मादक पदार्थों के सेवन से विरत रहकर स्मृति जागृति का आचरण.

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