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Kedarnath //गौरीकुंड का पानी भूतापीय ऊर्जा के कारण गर्म होता है। यह ऊर्जा पृथ्वी की पपड़ी (Earth’s crust) के नीचे मौजूद ऊष्मा से आती है, जो मैग्मा (पिघली हुई चट्टानों) और पृथ्वी की आंतरिक गर्मी के कारण उत्पन्न होती है। यह गर्म भूजल धीरे-धीरे पृथ्वी की सतह पर आता है, जिससे गौरीकुंड एक प्राकृतिक गर्म पानी का झरना बन जाता है, जो यात्रियों के लिए आरामदायक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
गर्म पानी के कारण:
भूतापीय ऊर्जा:
पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से से निकलने वाली गर्मी के कारण भूजल गर्म होता है।
मैग्मा और चट्टानें:
जब पृथ्वी की परतों में दरारें पड़ती हैं, तो पिघली हुई चट्टानें (मैग्मा) और गहरे गर्म चट्टानों के संपर्क में आने से पानी का तापमान बढ़ जाता है।
प्राकृतिक प्रक्रिया:
यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसके कारण पानी गर्म होता है और सतह पर आता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व:
पवित्र स्थान:
गौरीकुंड एक पवित्र स्थान है, जहाँ देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी।
स्नान का महत्व:
यहाँ गर्म पानी के कुंड में स्नान करना केदारनाथ यात्रा से पहले शरीर और आत्मा की शुद्धि का एक पारंपरिक अनुष्ठान माना जाता है।
औषधीय गुण:
ऐसा माना जाता है कि गौरीकुंड के पानी में सल्फर होता है और इसमें औषधीय गुण भी होते हैं, जो त्वचा रोगों और जोड़ों के दर्द में राहत देते हैं।

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