भगवत गीता – एक समग्र अध्ययन//जो पुरुष सम्पूर्ण भूतों में, सबके आत्मरूप मुझ वासुदेव को ही व्याप्त देखता है, और सम्पूर्ण भूतों को, मुझ वासुदेव के अंतर्गत देखता है, उसके लिए मैं अदृश्य नहीं होता हूँ, और वह मेरे लिए अदृश्य नहीं होता है– क्योंकि वह मेरे में एकी भाव से स्थित है।
भगवत गीता - एक समग्र अध्ययन आइये जीवन संग्राम में विजय के लिए गीता रूपी अमृत का पान करें अध्याय छः श्लोक संख्या (30) यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च…