गुरु//गुरु कोई देह नहीं हो सकती.जब तक कूटस्थ का बोध नहीं होता तब तक गुरु के विग्रह का ही ध्यान करना चाहिए. पर जब ज्योतिर्मय कूटस्थ ब्रह्म और कूटस्थ अक्षर का बोध हो जाए तब से कूटस्थ ही गुरु है..
आज पाँच जनवरी को गुरुदेव श्री श्री परमहंस योगानन्द जी महाराज का जन्मदिवस है।.ॐ श्रीगुरवे नमः …. "ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिंद्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् एकं नित्यं विमलंचलं सर्वधीसाक्षीभूतम्भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं…