स्नान पूर्णिमा का महत्व//ओडिशा के पवित्र शहर पुरी में आज स्नान पूर्णिमा, जिसे देव स्नान पूर्णिमा या स्नान यात्रा के नाम से भी जाना जाता है, बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है।भगवान जगन्नाथ से क्या है संबंध-जानिए सबकुछ

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स्नान पूर्णिमा का भगवान जगन्नाथ से क्या है संबंध? क्यों कहते हैं इसे स्नान यात्रा, जानिए सबकुछ
पुरी में स्नान पूर्णिमा का पर्व 11 जून 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन देवताओं का स्नान कराया जाता है, जो शुद्धिकरण का प्रतीक है। ओडिशा सरकार ने दैताओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा की है।

स्नान पूर्णिमा का महत्व
Snana Purnima 2025: ओडिशा के पवित्र शहर पुरी में आज स्नान पूर्णिमा, जिसे देव स्नान पूर्णिमा या स्नान यात्रा के नाम से भी जाना जाता है, बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और देवी सुभद्रा के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भक्तों के लिए श्रद्धा और आध्यात्मिक उल्लास का प्रतीक है। इस वर्ष 11 जून को होने वाली स्नान यात्रा के लिए पुरी में तैयारियां की गई हैं, जिसमें कड़े सुरक्षा इंतजाम, यातायात व्यवस्था, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित निगरानी शामिल है। यह आयोजन विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा से पहले का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो 27 जून को शुरू होगा।

स्नान पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा, और सुदर्शन चक्र (चतुर्धा बिग्रह) को रत्न बेदी (मंदिर के गर्भगृह) से स्नान बेदी पर ले जाया जाता है। यहां 108 कलशों में पवित्र जल से उनका स्नान कराया जाता है। यह स्नान नवीकरण और शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है। स्नान के बाद देवताओं को हाति बेशा (हाथी के रूप में सजावट) में सजाया जाता है, जो भक्तों के लिए एक अलौकिक दृश्य होता है। इस अनुष्ठान के बाद देवता अनासर (एकांतवास) में चले जाते हैं, जहां वे 14 दिनों तक विश्राम करते हैं और फिर रथ यात्रा के लिए तैयार होते हैं।स्नान पूर्णिमा का यह पर्व वैष्णव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ गणेश के रूप में पूजे जाते हैं, जो बुद्धि और विघ्नहर्ता के प्रतीक हैं। इस दिन का स्नान और दर्शन भक्तों के लिए मोक्ष और पुण्य प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

ओडिशा सरकार ने इस आयोजन को और भव्य बनाने के लिए दैताओं (मंदिर के सेवकों) के लिए 2.25 करोड़ रुपये की वित्तीय प्रोत्साहन राशि की घोषणा की है, जो स्नान पूर्णिमा से लेकर रथ यात्रा, बहुदा यात्रा, सुना बेशा, और नीलाद्री बिजे जैसे अनुष्ठानों के सुचारु संचालन पर निर्भर है। पुरी के इस पवित्र आयोजन में शामिल होने के लिए देश-विदेश से भक्त पहुंच रहे हैं।

Script:Anuj Srivastava

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