विचार पुष्पांजली
सत्य यही है कि आप यहां वस्तुओं के मालिक नहीं हैं, श्रीकृष्ण इन सब वस्तुओं का मालिक है। आप यहां अतिथि बनकर आए हैं अतिथि बनकर रहें और जैसे अतिथि धर्मशाला छोड़कर चला जाता है, उसे कोई दुख नहीं होता।*
आप भी यहाँ संसार में अतिथि बनकर रहें, तो संसार छोड़कर जाते समय आपको भी दुख नहीं होगा। कभी भी घमंड ना करें कि यह संसार मेरा है, इस संसार की सारी वस्तुएं मेरी है यह मेरा परिवार है, यह मेरा धन दौलत है, ऐसा कुछ नहीं है,*
यहां तो शरीर अपना नहीं है वह भी हमें परमात्मा ने हमारे माता-पिता के द्वारा दिया है, फिर हम किस चीज से उम्मीद कर रहे हैं हमें सब चीज पर छोड़नी पड़ेगी।*
!!!…पैसों को जेब में ही रखना, दिमाग में न आने देना…!!!