श्रद्धांजलि//वेद के मर्मज्ञ, राष्ट्र के साधक और कर्मयोगी विद्वान डॉ. देवीसहाय पाण्डेय जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक है।ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे और हम सबको उनके दिखाए मार्ग पर चलने की शक्ति दे।

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श्रद्धांजलि
वेदभाष्यकार डॉ. देवीसहाय पाण्डेय जी को विनम्र श्रद्धांजलि

वेद के मर्मज्ञ, राष्ट्र के साधक और कर्मयोगी विद्वान डॉ. देवीसहाय पाण्डेय जी का जाना न केवल भारतीय ज्ञान परंपरा के लिए एक अपूरणीय क्षति है, बल्कि हम सबके लिए एक गहरे शून्य का अनुभव है। उन्होंने वेदों को केवल ग्रंथ नहीं, जीवन का आधार माना और आजीवन उसी भावना से कार्य करते रहे।

डॉ. पाण्डेय जी का संपूर्ण जीवन वेदों की व्याख्या, प्रचार और आम जनमानस तक उसकी सहज समझ को पहुँचाने में समर्पित रहा। उन्होंने जटिल वैदिक वाक्यों को सरल भाषा में समझाकर करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के मूल स्रोतों से जोड़ा। उनके शब्दों में ऋचाएं गूंजती थीं और उनके जीवन में ऋषियों का तेज दिखता था।

वे विद्वता और विनम्रता का जीवंत उदाहरण थे। उनके लिए ज्ञान केवल अध्ययन का विषय नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए समर्पण का माध्यम था। 24 घंटे, सातों दिन, वे भारतमाता की सेवा में रत रहे — लेखन, व्याख्यान, संवाद और चिंतन के माध्यम से उन्होंने भारत की आत्मा को पुकारा।

आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, उनके लेख, और वेदों के प्रति उनका समर्पण सदैव हमारा पथप्रदर्शक बना रहेगा। वेदों की जो ज्योति उन्होंने प्रज्वलित की, वह कभी बुझने वाली नहीं है।

ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे और हम सबको उनके दिखाए मार्ग पर चलने की शक्ति दे।

ॐ शांति: शांति: शांति:

हिंदी साहित्य, वेदों के भाष्य और आध्यात्मिक चिंतन को जन-जन तक पहुँचाने वाले अप्रतिम विद्वान,
“आधुनिक वेदव्यास” आदरणीय डॉ. देवी सहाय पांडे “दीप” जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक है।
एक पिता तुल्य गुरु, जिनके सान्निध्य ने विचारों को दिशा दी, और जिनके शब्दों में वेदों की आत्मा बोलती थी उनका यूं चले जाना सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, एक युग का अवसान है।
वे केवल एक साहित्यकार नहीं,
बल्कि हिंदी भाषा के दीप थे जिन्होंने पीढ़ियों को आलोकित किया।उनकी सरलता, विनम्रता और मृदु भाषिता,हमें सदैव प्रेरणा देती रहेगी।उनके लिखे शब्द, उनके बोले विचार,
अब हमारे लिए धरोहर हैं।

मैं, सुशील योगी, उनके चरणों में
श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ।ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि
वो इस पुण्यात्मा को अपने परमधाम में
शांति और स्थान दें,और हम सब शोक-संतप्त जनों को
धैर्य और संबल प्रदान करें।

ॐ शांति।ॐ शांति।ॐ शांति।
वेदभाष्यकार परम पूज्य जीजाजी डॉ देवी सहाय पाण्डेय जी इस देश के महान प्रतिभा संपन्न लेखक कवि भाष्यकार थे जो आज दुनिया छोड़कर चले गए । उनका निधन अपूरणीय क्षति है ।अति दुखदाई है । हम दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और भगवान से यह भी प्रार्थना करते हैं कि जीजाजी / गुरुजी के पारिवारिक सदस्यों को इस असीम दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें ।

डॉ वशिष्ठ मुनि पाण्डेय

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