राम ने युद्ध के बाद मरणासन्न रावण से ज्ञान प्राप्त करने के लिए लक्ष्मण को उसके पास भेजा था। यह दिखाने के लिए कि किसी शत्रु से भी शिक्षा ली जा सकती है, पहले लक्ष्मण रावण के सिर के पास खड़े हुए, लेकिन रावण चुप रहा। फिर राम ने लक्ष्मण से कहा कि ज्ञान के लिए उसके पैरों के पास बैठो। तब रावण ने लक्ष्मण को जीवन के तीन महत्वपूर्ण उपदेश दिए: किसी अच्छे कार्य में देरी न करें, बुरे काम को टालें, और शत्रु को कभी कमजोर न समझें।
ज्ञान प्राप्त करने के लिए: राम जानते थे कि रावण प्रकांड विद्वान और ज्ञानी था, इसलिए उन्होंने लक्ष्मण को शत्रु से शिक्षा लेने के लिए भेजा।
सही तरीका सिखाने के लिए: जब लक्ष्मण ने पहले रावण के सिर के पास खड़े होकर कुछ नहीं सीखा, तो राम ने उन्हें बताया कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरु के पैरों के पास बैठना चाहिए।
जीवन के महत्वपूर्ण उपदेश: रावण ने लक्ष्मण को जो उपदेश दिए उनमें से कुछ ये थे:
अच्छे काम को कभी टालना नहीं चाहिए।
बुरे काम को जितना हो सके टालना चाहिए।
व्यक्ति को कभी भी अपनी शक्ति का घमंड नहीं करना चाहिए और शत्रु को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए।
मरते समय रावण ने लक्ष्मण को जीवन के तीन महत्वपूर्ण उपदेश दिए। उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि शुभ कार्य को तुरंत करें और अशुभ कार्य को टालें। रावण ने यह भी समझाया कि शत्रु या रोग को कभी भी छोटा नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यही उसकी हार का कारण बना। अंत में, उन्होंने यह भी सलाह दी कि किसी को भी अपने गुप्त रहस्यों के बारे में न बताएं, भले ही वह कितना भी करीबी क्यों न हो।
यहाँ रावण द्वारा दी गई शिक्षाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है:
शुभस्य शीघ्रम्: रावण ने लक्ष्मण को सिखाया कि शुभ कार्य करने में कोई देरी नहीं करनी चाहिए और इसे जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए। इसके विपरीत, बुरे या अशुभ कामों को टालना चाहिए।
शत्रु और रोग को कभी छोटा न समझें: रावण ने इस बात पर जोर दिया कि किसी को भी अपने शत्रु या रोग को छोटा या कमतर नहीं आंकना चाहिए। उन्होंने अपनी हार का उदाहरण दिया, जहाँ उन्होंने राम और उनकी वानर सेना को तुच्छ समझा था, जो उनकी मृत्यु का कारण बना।
अपने रहस्य किसी को न बताएं: रावण ने लक्ष्मण को सलाह दी कि अपने जीवन के गुप्त और निजी रहस्यों को किसी के साथ साझा न करें। उन्होंने बताया कि यह एक बड़ी गलती थी, क्योंकि उनके भाई विभीषण को उनके रहस्यों के बारे में पता था, और उसी जानकारी का उपयोग उनके विनाश के लिए किया गया।
राम जानते थे कि रावण प्रकांड विद्वान और ज्ञानी था, इसलिए उन्होंने लक्ष्मण को शत्रु से शिक्षा लेने के लिए भेजा।लेकिन रावण चुप रहा
















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