रथ यात्रा//भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने एक बार अपने भाइयों से नगर दर्शन की इच्छा जताई थी। इस इच्छा को पूरा करने के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले थे, और तभी से हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है।इस साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 27 जून 2025 से शुरू होगी।

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हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 जून को दोपहर 01 बजकर 25 मिनट से होगी।

वहीं, तिथि का समापन 27 जून को सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 27 जून 2025 से शुरू होगी।
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा 12वीं सदी से शुरू हुई थी. इतिहासकारों का मानना है कि 12वीं सदी में ओडिशा में इस यात्रा की शुरुआत हुई थी. वहीं, पुरी के साधु-संतों का मानना है कि यह परंपरा 12वीं सदी से भी पहले की है. कुछ लोग रथ यात्रा की उत्पत्ति के बारे में पौराणिक कथाओं का हवाला देते हैं, जैसे कि महाराज इंद्रद्युम्न के समय की पहली यात्रा, जो प्रथम मन्वंतर के द्वितीय सतयुग में हुई थी. इस त्यौहार के अभिलेख 13वीं शताब्दी से ही यूरोपीय यात्रियों द्वारा नोट किए गए हैं. 
ऐसी ही एक कहानी राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी रानी गुंडिचा की है, जिनकी भगवान जगन्नाथ में अटूट आस्था इतनी गहरी थी कि भगवान ने खुद हर साल उनके घर आने का वादा किया था । यह दिव्य प्रतिज्ञा आनंदमय रथ यात्रा में प्रकट होती है, जब भगवान जगन्नाथ सात दिनों के लिए गुंडिचा मंदिर में रहने के लिए अपने मुख्य निवास को छोड़ देते हैं
इसे भगवान के विश्राम का समय माना जाता है. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि स्नान के बाद, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अस्वस्थ होने की लीला करते हैं . यह माना जाता है कि स्नान के कारण उन्हें बुखार आ जाता है. इस अवधि को ‘अनवसर’ या ‘अज्ञातवास’ कहा जाता है, जो 14 दिनों तक चलता है.
इस यात्रा के पीछे कई मान्यताएं हैं:
सुभद्रा की नगर दर्शन की इच्छा:

एक मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने एक बार अपने भाइयों से नगर दर्शन की इच्छा जताई थी। इस इच्छा को पूरा करने के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले थे, और तभी से हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है।
भगवान का भक्तों के साथ आनंद विहार:
यह भी कहा जाता है कि रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ का अपने भक्तों के साथ आनंद विहार करने का एक तरीका है।
भगवान का मौसी के घर जाना:
रथ यात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं।
भगवान का विश्राम:
कुछ दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को बीमार होने की मान्यता है और वह 15 दिनों तक विश्राम करते हैं। इस दौरान रथ यात्रा निकाली जाती है, ताकि भक्त भगवान को दर्शन कर सकें और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
इस प्रकार, जगन्नाथ रथ यात्रा एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है जो भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्तों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है।

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