मणिमहेश यात्रा 24 को रवाना होगी दशनामी जूना अखाड़ा की छड़ी, मणिमहेश में राधाष्टमी न्हौण के लिए प्रशासन ने बनाई रणनीति,रियासतकाल से इस धार्मिक परंपरा का निर्वहन दशनामी अखाड़ा चंबा करता आया है। इस छड़ी को भगवान शंकर का अंश माना जाता है।

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मणिमहेश यात्रा 24 को रवाना होगी दशनामी जूना अखाड़ा की छड़ी, मणिमहेश में राधाष्टमी न्हौण के लिए प्रशासन ने बनाई रणनीति

चंबा के भरमौर स्थित मणिमहेश झील हिंदुओं और शिव भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है
मणिमहेश यात्रा के राधाष्टमी के शाही स्नान के लिए दशनामी जूना अखाड़ा की छड़ी धार्मिक परंपरा के अनुरूप 24 अगस्त को मुख्यालय से रवाना होगी। यह छड़ी छह दिन तक यात्रा के विभिन्न पडावों से पैदल होकर तीस अगस्त की शाम को मणिमहेश झील पर पहुंचेगी। दशनामी जूना अखाड़ा की छड़ी यात्रा को लेकर मुख्यालय में सोमवार को एसडीएम सदर प्रियांशु खाती की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन भी किया गया। बैठक में दशनाम जूना अखाड़ा की छड़ी यात्रा को लेकर प्रशासनिक स्तर पर होने वाली तैयारियों पर चर्चा की गई।
एसडीएम प्रियांशु खाती ने बताया कि 24 अगस्त को दोपहर बाद चंबा शहर के रामगढ मोहल्ले स्थित दशनाम अखाड़ा में भगवान दत्तात्रेय की पूजा-अर्चना करने के उपरांत छड़ी को मणिमहेश के लिए रवाना किया जाएगा। 24 अगस्त को छडी यात्रा का रात्रि विश्राम श्री राधाकृष्ण मंदिर जुलाहकड़ी में रहेगा। इसके उपरांत छडी यात्रा विभिन्न पडावों पर विश्राम करते 30 अगस्त की शाम मणिमहेश डल पर पहुंचेगी। एसडीएम ने अधिकारियों को उचित प्रबंध सुनिश्चित करने के आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
दशनामी छड़ी भगवान शंकर का अंश
दशनाम छड़ी यात्रा का उसी तरह धार्मिक महत्व है, जिस प्रकार से अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रीनगर से निकलने वाली दशनामी छड़ी यात्रा का है। इस छड़ी यात्रा में देश के विभिन्न भागों से आए साधु-महात्मा हिस्सा लेते है। रियासतकाल से इस धार्मिक परंपरा का निर्वहन दशनामी अखाड़ा चंबा करता आया है। इस छड़ी को भगवान शंकर का अंश माना जाता है।

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