बिना वारंट… किसान आंदोलन के बीच सीएम योगी ने लागू किया ये कानून, जानें डिटेल
February 17 2024
Strike bans for six months in up:
दिल्ली के बार्डर पर किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च आज पांचवे दिन भी जारी है। किसानों के इस प्रदर्शन में पंजाब हरियाणा के साथ अब उत्तर प्रदेश के किसान भी जुड़ चुके हैं। किसानों के इस आंदोलन के बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो अपने सख्त कानून व्यवस्था के लिए जाने जाते हैं उन्होंने राज्य में छह महीने के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी है।
योगी सरकार ने यूपी में जिस कानून के तहत राज्य में छह माह के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी है, वो एसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेंस एक्ट (ESMA)है। हालांकि ये पहला मौका नहीं है जब यूपी की योगी सरकार ने इस एक्ट को लागू कर हड़ताल पर रोक लगाई है।
इससे पहले बीते साल 2023 में जब बिजली विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर गए थे तब योगी सरकार ने ठीक ऐसे ही हड़ताल पर राकक लगा दी थी। ये कानून यूपी के अंतर्गत आने वाले सभी निगमों, विभागों और कॉपरोरेशन पर लागू होता है।
कब लागू हुआ ये कानून
वर्ष 1968 में ये एसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेंस एक्ट (ESMA) कानून संसद में पास हुआ थे, इस एक्ट का इस्तेमाल करके कोई भी राज्य जरूरत पड़ने पर हड़ताल पर छह महीने तक रोक लगा सकता है।
ये कानून क्यों है जरूरी
अब ये सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि वर्षों पहले सरकार को ये एक्ट लागू करना पड़ा। इस सवाल का जवाब ये है कि इस एक्ट को लाने का उद्देश्य देश में ट्रांसपोर्ट, मेडिकल सर्विस, बिजली आपूर्ति समेत आम जनता से जुड़ी तमाम आवश्य सेवाओं को जारी रखना सुनिश्चत करना था।
जानें कितना सख्त है ये कानून
छह महीने तक हड़ताल पर रोक लगाने के आदेश के बाद अगर कोई हड़ताल करता है तो राज्य सरकारें जरूरी सेवाओं को बाधित करने वालों के खिलाफ अरेस्ट और मुकदमा चलाने समेत ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई कर सकती हैं।
इस कानून के लागू होते ही कर्मचारियों पर लग जाती है पाबंदी
राज्य सरकार द्वारा एसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेंस एक्ट (ESMA)लागू किए जाने के बाद सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों पर विभिन्न तरह की पाबंदियां लग जाती है।इतना ही नहीं आवश्यकता पड़ने पर राज्य सरकार के कर्मचारी ओवरटाइम करने से भी इनकार नहीं कर सकते हैं।
कानून को तोड़ने पर मिलती है सजा
एसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेंस एक्ट (ESMA) कानून लागू होने के बाद अगर कोई भी सरकारी कर्मचार अग नियमों का उलंघन करता पाया जाता है तो एक साल की जेल की सजा और 1 हजार रुपये का जुर्माना सरकार लगा सकती है। इतना ही नहीं पुलिस बिना वारंट के आरोपी को अरेस्ट कर जेल की सलाखों के पीछे डाल सकती है।