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*थाली में उतनी ही रोटी रखनी चाहिए जितना अगला व्यक्ति खा सके, इसी प्रकार किसी को उतना ही प्यार और सम्मान दें जितना अगला व्यक्ति पचा सके, यदि आप आवश्यकता से अधिक देते हैं तो अगले व्यक्ति को खराब करेगा।*
प्रतिभा ईश्वर से मिलती है,
नतमस्तक रहें..!
ख्याति समाज से मिलती है,
आभारी रहें..!
लेकिन,,,
मनोवृत्ति और घमंड स्वयं से मिलते हैं,सावधान रहें.

: ज़िंदगी में समस्या देने वाले की हस्ती कितनी भी बड़ी क्यों न हो, पर भगवान की “कृपादृष्टि” से बड़ी नहीं हो सकती
जतन बहुत सुख के किए दुख को
*कीओ न कोइ ।।*
*कहुं नानक सुनि रे मना हरि भावै*
*सो होइ।।*
*हे भाई! मनुष्य सुख पाने की चाहत में अनेक प्रकार के प्रयास करता है। परन्तु दुख बिना प्रयास किये ही मिल जाते हैं। गुरु नानक देव जी फरमाते हैं:- हे मन ! सुन ।जैसा परमात्मा को अच्छा लगता है वैसे ही होता है। इसलिए उसकी रजा में रह। सुख और दुख सब प्रभु की मर्जी के अनुसार ही मिलता है। सुख भी तभी मिलता है जब ईश्वर की इच्छा होती है यदि ईश्वर की इच्छा न हो तो सुख के लिए प्रयास करने वाले मनुष्य के हाथ दुख ही लगता है।*
दुख सुख ते दातया
तेरी कुदरत दे उसूल ने
बस इको अरदास है!
जे दुख मिले ता हिम्मत बख्शी
जे सुख मिले तां नम्रता बख्शी
फिक्र छोड़ो और मस्त रहो दुःख उधार का है आनंद स्वयं का है आनंदित कोई होना चाहे तो अकेले भी हो सकता है दुखी होना चाहे तो दूसरे की जरुरत होती है कोई धोखा दे गया किसी ने गाली दे दी कोई तुम्हारे मन के अनुकूल न चला सब दुःख दूसरे से जुड़े हैं और आनंद का दूसरे से कोई सम्बन्ध नहीं है आनंद स्वयंस्फूर्त है दुःख बाहर से आता है आनंद भीतर से आता है सफल होते ही दुनिया आपके भीतर अनेक खूबियां ढूढं लेती है और असफल होते ही हज़ार कमिया,ऐ मौसम चाहे तू जितना भी बदल ले,इंसान से ज्यादा बदलने का हुनर तेरे पास भी नहीं है,हारने ना देना मेरे प्रभु कठिन इम्तेहान है,जीत में ही प्रभु हम दोनों का मान है,क्योंकि आपके भरोसे हूँ मैं और यही तो मेरी पहचान है

🙏 Good Morning 🙏

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