“पुनर्नवा”//पुनर्नवा अर्थात शरीर के अंगों को पुनः नया जीवन देने वाली औषधि ऑटो इम्यून डिसीज की घातक शत्रु है यह दिव्य औषधि। इसके प्रयोग से आज के तनाव भरे जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है। पुनर्नवा, जिसे आयुर्वेद में “पुनर्नवा” कहा जाता है, का अर्थ है “पुनः नया करने वाली”। यह एक अद्भुत औषधीय पौधा है, जो भारत में मुख्य रूप से गीली और नम भूमि में पाया जाता है।

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पुनर्नवा अर्थात शरीर के अंगों को पुनः नया जीवन देने वाली औषधि ऑटो इम्यून डिसीज की घातक शत्रु है यह दिव्य औषधि। इसके प्रयोग से आज के तनाव भरे जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है। पुनर्नवा, जिसे आयुर्वेद में “पुनर्नवा” कहा जाता है, का अर्थ है “पुनः नया करने वाली”। यह एक अद्भुत औषधीय पौधा है, जो भारत में मुख्य रूप से गीली और नम भूमि में पाया जाता है।

            पुनर्नवा आयुर्वेद की सबसे भरोसेमंद और कारगर औषधियों में से एक है। इसका प्रयोग मूत्र संबंधी रोगों के उपचार में किया जाता है। खास बात यह है की इसे महिला और पुरुष दोनों ही इस्तेमाल कर सकते हैं। लोगों में भ्रांति बनी हुई है कि यह केवल महिलाओं के रोगों में ही उपयोगी है। इसके नाम का ही अर्थ होता है rejuvenation यानि कि शरीर को पुनः  नया या जैसा का वैसा कर देने वाली औषधि। इसे कई सारी बीमारियो एवम रोगों में औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है, किन्तु मुख्यतः UTI, धातु रोग, मासिक धर्म के असंतुलन, रक्ताल्पता, कमजोरी तथा शरीर में harmonal imbalance को ठीक करने के लिए यह सबसे भरोसे मंद औषधि है। लिवर और किडनी रोगों के लिये यह सबसे चर्चित है। पुराने अनुभवी चिकित्सक मानते हैं कि इसके काढ़े के नित्य सेवन से कैंसर में जबरदस्त फायदा मिलता है। ल्युकोडेर्मा नामक त्वचा रोग अगर प्रारंभिक अवस्था मे है तो यह पुर्ननवा के नित्य सेवन से जल्द ही ठीक हो जाता है। लंबा बना रहने वाला बुखार, किडनी रोग व  वात रोग  के कारण हाथ पैरों में आने वाली सूजन को भिनयः कम करता है। उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोगों में वही यह अच्छा खासा कारगर है। पीलिया/  कामला रोग में तो भूमि आंवले के साथ पुनर्नवा की साग बनाकर खाने की सलाह दी जाती है। 2- 3 दिन में ही रोग छू मंतर हो जाता है। 

वैसे तो इसके सम्पूर्ण पौधे (पंचांग) का उपयोग किया जाता है, किन्तु जड़ों का विशेष महत्व है। आयुर्वेद में इसके सफ़ेद और लाल फूल वाले दो भेद माने जाते हैं। जिसमे सफ़ेद फूल वाला ज्यादा कारगर है। लेकिन सावधानी रखने वाली बात है कि इसी से मिलती जुलती Trianthema portulacastrum नामक वनस्पति को लोग अक्सर पुनर्नवा समझ बैठते हैं जबकि यह सामान्य भाषा मे सांठी कहलाता है। आयुर्वेद व पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में कई औषधियों को खाली पेट लेने की सलाह दी जाती है लेकिन इन सबके विपरीत पुनर्नवा को भोजन में बाद ही ग्रहण किया जाता है। वर्तमान समय मे auto immune disease बहुत घातक और चर्चित विषय है और इस मामले में कोई खास दवाएं भी असरदार नही होती किन्तु एकमात्र पुनर्नवा ऐसी औषधि है जो ऑटो इम्मयून डिसीज में भी अपना प्रभाव रखती है, बशर्ते कि सही समय पर बीमारी की पहचान हो जाये।
आधुनिक विज्ञान के चश्मे से देखें तो इसमें कई महत्वपूर्ण रसायन अब तक खोजे गए हैं जो इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं। जैसे इसमें पाया जाने वाले Boerhavia G तथा Boerhavia H नामक rotenoides insecticidal प्रभाव रखते हैं। इसी तरह इसमें पाये जाने वाले lunamarine नामक alkaloid में कैंसर तथा एंटअमीबा प्रतिरोधी क्षमता पाई जाती है।

गाँव देहात में पुनर्नवा के कोमल डंठल और पत्तियों को चुनकर इसका साग बनाया जाता है, चूंकि यह मौसमी साग है अतः सिर्फ विशेष मौसम ठंड के समय ही यह उपलब्ध होता है। गर्मियों में इसकी शाखायें सूख जाती हैं और मोटी जड़ो के रूप में यह भविष्य के लिए सुरक्षित रहता है। इन मांसल जड़ों से प्रतिवर्ष वर्ष ऋतु में नए पौधे विकसित होते हैं जो ठण्ड के मौसम में खूब फैलते हैं।

🙏 इसका उपयोग प्राचीन काल से ही आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में किया जा रहा है।

पुनर्नवा बूटी दो प्रकार की होती हैं। एक के पत्ते नकुले व फूल लाल होते हैं। इसे लाल या रक्त पुनर्नवा कहते हैं। दूसरी पुनर्नवा के पत्ते थोड़े चपटे होते हैं व इसके फूल सफेद से हल्की लालिमा लिये होते हैं। इसे आम भाषा में साँठी कहा जाता है।

दोनों ही औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं।

पुनर्नवा (#गदापुरना) खास तौर पर बरसात के मौसम में उगने वाला पौधा है। औषधि के रूप में इसका पंचांग और हमेशा मिलने वाला जड़ को उपयोग में लाया जाता है। पुनर्नवा का पावडर , सिरप और टैबलेट आप को आसानी से मार्केट में मिल जाएंगे। इसका उपयोग गंभीर से गंभीर बीमारियों को जड़ से खतम करने के लिए किया जाता है। पुनर्नवा शरीर को ऊर्जावान बनाता है यह इतना गुणकारी है कि शरीर के पांव से लेकर शर तक हर बीमारी को मात दे सकता है। इसके गुणों के कारण आयुर्वेद में इसे अमृत समान माना गया है । यह हमारे स्किन को हेल्दी, अस्थमा रोग निवारक, तिल्ली ,लिवर,किडनी को सुरक्षा प्रदान करने वाला होता है तथा यह कैंसर जैसे घातक बीमारी से भी बचाता है।
पुनर्नवा में नाइट्रेट क्लोराइड पाए जाते हैं इस लिए यह हार्ट डिजीज में बहुत अच्छा काम करता है। ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करता है। इसका 7/8 दिन उपयोग करने से अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है,इसे हम काढ़े के रूप में या पावडर,टैबलेट, सिरप के रूप में उपयोग में ला सकते हैं।
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पुनर्नवा के प्रमुख फायदे:-

  1. सूजन और सूजन संबंधी रोगों में फायदेमंद।

यह प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी है, जो गठिया (arthritis), जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत देता है। पुनर्नवा सुजन को नष्ट करती है यह ह्रदय रोग व किडनी के विकारों में (पथरी, किडनी की सुजन आदि) में विशेष लाभदायी है। पुनर्नवा शारीर में आए हुए सूजन को कम करता है ।यह शरीर के बाहरी अंग में आए हुए सूजन को कम करता है ।और शरीर के अंदर जो अंग होते हैं अगर उनमें सूजन आ गया हो तो उसको भी यह कम करता है यह मूत्रल होता है मूत्रल होने के वजह से पेशाब ज्यादा लाता है और शरीर में जमा हुआ पानी बाहर निकलने में मदद करता है जिससे सूजन कम हो जाता है सूजन लीवर में हो तिल्ली में हो, युटेरस में हो, किडनी में हो,हाथ में हो पैर में हो या चाहे पूरे शरीर में ही क्यों ना हो हर जगह की सूजन खत्म करने की ताकत यह पुनर्नवा रखता है।

  1. गुर्दे (किडनी) की सेहत के लिए उपयोगी

यह मूत्रल (diuretic) गुणों वाला होता है, जो मूत्र मार्ग को साफ करता है और किडनी फंक्शन सुधारता है। अगर पेशाब करते समय जलन होता हो, पेशाब रुक रुक कर आता हो, किडनी में सूजन हो, पथरी हो, या फिर किडनी खराब हो रही हो,क्रिएटिनिन का लेवल बढ़ता जा रहा हो तो पुनर्नवा इसमें रामबाण की तरह काम करता है।
इसके लिया पुनर्नवा जड़ और गोखरू को समान मात्रा में लेकर पावडर बना ले और सुबह शाम 5/5 ग्राम खाना खाने के पश्चात सेवन करें।

किडनी स्टोन (पथरी) के इलाज में भी सहायक है।

  1. लीवर डिटॉक्स में मददगार

पुनर्नवा लीवर को विषैले तत्वों से मुक्त करता है और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों में लाभदायक है। अगर आप के लिवर में खराबी आ गई हो तो आप पुनर्नवा का इस्तेमाल कर सकते हैं यह लिवर को detox करके लिवर के सूजन को मिटाता है लिवर के गंदगी को बाहर निकालता है और लिवर संक्रमित होने से बच जाता है। पुनर्नवा हेपेटाइटिस ए हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी, एनीमिया , एनोरेक्सिया, पीलिया जैसे गंभीर रोग में भी फायदेमंद है। पुनर्नवा पावडर सुबह शाम 3/3 ग्राम सेवन करें। इसका सिरप भी मार्केट में उपलब्ध है आप दवा को 15 ml निकाल कर के 15ml पानी में मिक्स करके सुबह शाम खाना खाने के बाद ले सकते हैं । अगर पुनर्नवा का पौधा मिल जाए तो इसका साग (सब्जी बना कर) खाएं।

  1. मूत्र संबंधी समस्याएं

पेशाब में जलन, बार-बार पेशाब आना या रुक-रुक कर पेशाब आने की समस्या में फायदेमंद है। पुनर्नवा के चूरण का नियमित रूप से सेवन करने से आप स्वस्थ रह सकते हैं. किडनी में पथरी होने की समस्या आजकल काफी बढ़ रही है और इसके इलाज के लिए लोग नए-नए तरीके भी अपनाते हैं. पुनर्नवा गुर्दे में मौजूद पथरी को खत्म करने मे बहुत ही कारगर है।

  1. मधुमेह (डायबिटीज) में सहायक।

यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। शरीर का ब्लड शुगर कंट्रोल करने में भी पुनर्नवा काफी फायदेमंद होता है. पुनर्नवा के इस्तेमाल से खून में ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित होता है, जिससे डायबिटीज जैसी प्रॉब्लम से बचा जा सकता है. इस औषधि में एंटीडायबिटिक गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर स्पाइक को करने में मदद करते हैं.

  1. ह्रदय स्वास्थ्य में लाभकारी –

यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और ह्रदय को मजबूत बनाता है। पुनर्नवा का पाउडर शहद के साथ मिलाकर खा सकते हैं. इसमें मौजूद मैग्नीशियम हाई और लो ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने में काफी मददगार साबित हो सकता है. जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या है, उन्हें दिन में एक बार इसका सेवन जरूर करना चाहिए।

  1. त्वचा रोगों में उपयोगी –

त्वचा पर फोड़े-फुंसी, एक्जिमा आदि में पुनर्नवा का पेस्ट लाभदायक होता है।

  1. पाचन तंत्र सुधारता है –

गैस, कब्ज, अपच जैसी समस्याओं में राहत देता है।

  1. मोटापा को कंट्रोल –

पुनर्नवा का उपयोग वजन घटाने के लिए लगभग सभी हर्बल दवाओं में घटक के रूप में किया जाता है।यह जड़ी-बूटी इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा को कम किए बिना पेशाब को उत्तेजित करता है और शरीर से अतिरिक्त तरल और अपशिष्ट पदार्थ को शरीर से हटाने में मदद करता है। इस प्रकार पुनर्नवा वजन घटाने में मदद करता है।
मोटापा दूर करने के लिए पुनर्नवा के 5 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम लें। पुनर्नवा की सब्जी बना कर खायें।

  1. प्रोस्टेट में फायदेमंद

पुरुषों में 50 वर्ष के बाद प्रोस्टेट का बढ़ाना आम सी बीमारी हो गई है। जिन लोगों का प्रोस्टेट बढ़ जाता है उन लोगों के लिए पुनर्नवा बहुत ही लाभकारी होता है। प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि हो जाने पर पुनर्नवा का चूर्ण और गोखरू का चूर्ण समान मात्रा में लेकर के 5 ग्राम सुबह खाली पेट और 5 ग्राम शाम को सोते समय हल्का गुनगुना पानी से लें इससे प्रोस्टेट का साइज कम होगा और आप इस रोग से छुटकारा पा लेंगे।

  1. अस्थमा में फायदेमंद

अगर आपको सांस फूलने की समस्या है यानी कि अस्थमा की बीमारी है तो आप आधा ग्राम हल्दी का पाउडर और 3 ग्राम पुनर्नवा के जड़ का पाउडर दोनों को मिक्स करके सुबह-शाम आप हल्का गुनगुना पानी से ले सकते हैं।
पुनर्नवा के पत्तियों का काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ा सा काली मिर्च और थोड़ा सा अदरक का रस मिलाकर के सेवन कर करने से अत्यंत ही लाभकारी साबित होता है।

  1. पेट के लिए फायदेमंद

पुनर्नवा पेट के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है । यह एसिडिटी कम करता है। पेट दर्द को कम करता है। भूख को बढ़ाने में मदद करता है। यह कब्ज से भी राहत देता है।
इसके लिए आप पुनर्नवा का चूर्ण 5/5 ग्राम सुबह-शाम या फिर पुनर्नवारिष्ट सिरप लाकर 15 ml दवा और 15 ml पानी किसी बर्तन में मिक्स करके सुबह शाम खाना खाने के बाद ले सकते हैं।

  1. कैंसर में फायदेमंद

पुनर्नवा को कैंसर के इलाज के लिए सब से अच्छी जड़ीबूटियों में से एक माना जाता है। इसको कैंसर विरोधी एजेंट माना जाता है। पुनर्नवा कैंसर सेल्स के प्रगति को रोकता है।

सेवनकातरीका:-

पुनर्नवा का उपयोग ताजा पत्तों का रस, सब्जी के रुप में, या जड़ तना फूल और पतियों को सुखाकर पीस कर पाउडर बनाकर लंबे समय तक के उपयोग कर सकते हैं। पुनर्नवा का जड़ आयुर्वेदिक दुकान पर आपको आसानी से उपलब्ध हो जाएगा पुनर्नवा के जड़ का पाउडर आप उपयोग में ला सकते हैं। अगर पुनर्नवा का जड़ ना मिले तो आप बना बनाया पुनर्नवा का पाउडर भी मार्केट से ला सकते हैं मार्केट में पुनर्नवा का सिरप भी आपको उपलब्ध हो जाएगा। पुनर्नवारिष्ट,, सिरप के नाम से उपलब्ध रहता है ।पुनर्नवा का टैबलेट भी आता है,आपको आसानी से आयुर्वेदिक दुकान से मिल जाएगा ।

चूर्ण (पाउडर): 1-3 ग्राम, दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ।

काढ़ा या अर्क: आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से

कैप्सूल या टैबलेट: बाज़ार में उपलब्ध, निर्देशानुसार सेवन करें

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