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परमात्मा का निरादर इस बात में नहीं कि तुम मंदिर नहीं गए!!!

बल्कि इस बात में है कि है कि मंदिर जाकर भी तुम संसार की वस्तुएँ माँगकर लौट आऐ!!
उसे नहीं मांगा, जिसे मांगने से सब मांगें मिट जाती हैं!!: जिस प्रकार जंगल में वनस्पति और बूटी सिर्फ जानने वाले को दिखते हैं, उसी प्रकार जीवन में भूल और भगवान सिर्फ मानने वाले को दिखते हैं!

रिश्ते चंदन की तरह रखने चाहिए,
चाहे टुकड़े हज़ार भी हो

दो अखियाँ दे जोडे बनावां,
*ऐ जोडे तेरे चरणीं पवावां,*
*ऐनां चरणां दे विच्च,*
*दिस्सदे मैनूं चारों धाम,*
*स्वासां दी माला ते,*
*सिमरां मैं तेरा नाम,*

क्यों ना करूँ तेरे दर पे सजदा
मेरे सत्गुरु जी
इस सजदे ने ही तो तकदीर संवारी है
तूं मेरा पिता तूं है मेरा माता‼️
तूं मेरा बंधू तूं है मेरा भ्राता‼️
तुध बिन दूजा अवर ना कोई‼️
सब तेरा खेल अखाड़ा जियो‼️पाक जात तेरी , ख़ाक जात मेरी।

बचां तां जे तेरी पनाह होसी॥

तेरे बिन दाता जी केड़े दर जावा…
दिल वाला हाल जाके किन्नू मैं सुनावा…सुनावा

जिंदगी में ठंड और घमंड से
हमेशा बचकर रहना चाहिए,
क्योंकि
दोनो ही परिस्थितियों में
इंसान अकड़ जाता है

 

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