कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली”//यह कहावत राजा भोज और गंगू तेली के बीच की तुलना पर आधारित है।

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कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली” एक भारतीय लोकोक्ति है जो दो व्यक्तियों या चीजों के बीच की असमानता को दर्शाती है। यह कहावत राजा भोज, जो एक महान राजा और विद्वान थे, और गंगू तेली, जो एक तेल बेचने वाला था, की तुलना में आती है। 
कहावत की कहानी:

यह कहावत राजा भोज और गंगू तेली के बीच की तुलना पर आधारित है। राजा भोज मालवा के राजा थे, जो अपनी वीरता, ज्ञान और न्याय के लिए प्रसिद्ध थे। गंगू तेली एक साधारण व्यक्ति था, जो तेल बेचकर अपना जीवनयापन करता था। 

कहा जाता है कि एक बार गंगू तेली राजा भोज के दरबार में गया था। उसने राजा से अपनी एक समस्या के बारे में बात की, लेकिन राजा ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। गंगू तेली बहुत दुखी हुआ और उसने कहा, “कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली?” 
कहावत का अर्थ:
यह कहावत विभिन्न चीजों के बीच की असमानता या अंतर को दर्शाती है। यह एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग आमतौर पर एक साधारण व्यक्ति या चीज की तुलना किसी महान या असाधारण व्यक्ति या चीज से करने के लिए किया जाता है। यह इस बात पर जोर देता है कि कुछ चीजों के बीच का अंतर बहुत बड़ा है और उन्हें एक साथ तुलना नहीं करना चाहिए। 
उदाहरण:
“यह एक छात्र है जो प्रतिदिन 12 घंटे पढ़ाई करता है। कहाँ वह छात्र, कहाँ अन्य छात्र जो केवल 3 घंटे पढ़ाई करते हैं?”
“यह एक कुशल संगीतकार है जो अपने संगीत के लिए प्रसिद्ध है। कहाँ वह संगीतकार, कहाँ अन्य व्यक्ति जो संगीत के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं?

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