“चारपाई – हमारी सबसे सस्ती, सरल और वैज्ञानिक खोज!”
कमर दर्द, सर्वाइकल, पीठ की परेशानियाँ…
इन सबका इलाज हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ढूंढ लिया था — चारपाई।
सोचिए! अगर हमारे पूर्वज लकड़ी को चीरकर डबल बेड बना सकते थे,
तो उन्होंने रस्सी से बुनने वाली खाट क्यों बनाई?
क्योंकि ये सिर्फ बिस्तर नहीं — स्वास्थ्य, विज्ञान और समझदारी की कला थी।
जब हम सोते हैं, खासकर खाने के बाद, तो
पेट को पाचन के लिए ज़्यादा खून चाहिए होता है।
चारपाई की हल्की सी झोल, शरीर को वही आराम देती है,
जो किसी महंगे ऑर्थोपेडिक बेड से भी नहीं मिलता।
पालना भी पहले कपड़े की झोल का होता था,
अब उसे भी लकड़ी में बदलकर बच्चों की पीठ बिगाड़ दी।
चारपाई पर सोने से
कमर दर्द नहीं होता
पीठ सीधी रहती है
शरीर को पूरा येक्युप्रेशर मिलता है!
डबल बेड भारी होता है, नीचे अंधेरा,
धूल, कीटाणु, बैक्टीरिया की फैक्ट्री!
रोज़ाना उठाकर साफ नहीं कर सकते।
लेकिन चारपाई ?
रोज़ खड़ी करो, नीचे झाड़ू लगाओ,
धूप लगाओ — प्राकृतिक कीटनाशक का इलाज भी हो गया।
डॉक्टर अगर किसी को Bed Rest लिखे,
और वो अंग्रेजी बेड (डबल बैड, दिवान)पर लेट जाए —
2 दिन में Bed Sores (कमर मे फुंसियां, घाव) शुरू हो जाते हैं।
लेकिन चारपाई?
💨 हवा आर-पार होती है,
कोई घाव नहीं,
सिर्फ आराम।
गर्मियों में मोटा गद्दा = गर्मी + AC
लेकिन चारपाई = ठंडी हवा नीचे से भी,
AC की जरूरत भी कम।
💸 और अब सुनिए असली बात —
विदेशों में ये देसी चारपाई 1 लाख रुपए में बिक रही है!
अमेरिकन कंपनियां इसे “Handcrafted Ayurvedic Cot” के नाम से बेच रही हैं।
और हम?
अपनी ही विरासत को छोड़कर
महंगे, बीमारियों से भरे आधुनिक बेड पर लेटे हैं।
चारपाई सिर्फ चार लकड़ी के पाए नहीं… ये विज्ञान, परंपरा और सादगी की विरासत है।
जिसे हमारे पूर्वजों ने अनुभव से बनाया,
और आज हम बिना सोचे छोड़ते जा रहे हैं।
जय श्री राम | जय गोविंदा | जय सनातन संस्कृति
विरासत को पहचानिए, अपनाइए… और गर्व से आगे बढ़ाइए।
जय महादेव
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