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’इंसान ने वक़्त से पूछा…*
*”मै हार क्यूं जाता हूँ ?”*
*वक़्त ने कहा..*
*धूप हो या छाँव हो,*
*काली रात हो या बरसात हो,*
*चाहे कितने भी बुरे हालात हो,*
*मै हर वक़्त चलता रहता हूँ,*
*इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,*
*तू भी मेरे साथ चल,*
*कभी नहीं हारे

गुण ना हो तो रूप व्यर्थ है.
*विनम्रता ना हो तो विद्या व्यर्थ है…*
*उपयोग ना आए तो धन व्यर्थ है…*
*साहस ना हो तो हथियार व्यर्थ है…*
*भूख ना हो तो भोजन व्यर्थ है…*
*होश ना हो तो जोश व्यर्थ है…*
और परोपकार नहीं करने वालों का जीवन व्यर्थ है

शांति और संतोष ही*
*पूर्णविराम हैं………,*
*बाकी सभी सुख*
*अल्पविराम हैं…

पत्थर में भगवान है, यह समझाने में धर्म सफल रहा,* *पर इंसान में भी भगवान है, यह समझाने में, धर्म आज भी असफल है
🪯🪯💯🙏🏻गुस्सा भी कितना*
*अक़लमंद है*
*हमेशा कमज़ोर के*
*सामने ही आता है

अहंकार और अकड़ दोनों ही*
*जीवन के सबसे बड़े दुश्मन है…!*

*क्योंकि* *ये न आपको किसी का होने देते है और न कोई आपका होना चाहता

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