महाभारत युद्ध के दौरान सूर्य ग्रहण का बड़ा महत्व है, खासकर जयद्रथ वध के समय.
अर्जुन ने अभिमन्यु की मृत्यु का बदला लेने के लिए सूर्यास्त से पहले जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा ली थी और अगर ऐसा न कर पाने पर आत्मदाह करने की बात कही थी.
जब जयद्रथ ने कौरवों की मदद से सुरक्षा घेरा बना लिया, तो श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से कृत्रिम सूर्य ग्रहण लगा दिया, जिससे अंधेरा छा गया. जयद्रथ ने सोचा कि सूर्यास्त हो गया है और वह खुद सामने आ गया, जिसके बाद श्री कृष्ण ने ग्रहण समाप्त किया और अर्जुन ने उसका वध कर दिया.
सूर्य ग्रहण और जयद्रथ वध की घटना
अर्जुन की प्रतिज्ञा: महाभारत युद्ध के दौरान, अभिमन्यु की छल से हुई हत्या के बाद, अर्जुन ने प्रतिज्ञा ली कि वह सूर्यास्त से पहले जयद्रथ का वध करेंगे, अन्यथा खुद को अग्नि में समर्पित कर देंगे.
कौरवों की चाल: कौरवों ने जयद्रथ को बचाने के लिए एक सुरक्षा घेरा बना लिया, जिससे अर्जुन उसे ढूंढ नहीं पा रहे थे.
श्री कृष्ण की लीला: जब अर्जुन की प्रतिज्ञा पूरी होने का समय नजदीक आ रहा था और जयद्रथ छिप गया था, तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी योग माया से एक कृत्रिम सूर्य ग्रहण लगा दिया.
अंधेरा और जयद्रथ का सामने आना: सूर्य ग्रहण के कारण चारों ओर अंधेरा छा गया और जयद्रथ व अन्य कौरवों को लगा कि सूर्यास्त हो गया है.
जयद्रथ का बाहर आना: जयद्रथ को लगा कि सूर्यास्त हो गया है, इसलिए वह अर्जुन के सामने आकर कहने लगा कि अब वह अग्निसमाधि ले.
ग्रहण का समाप्त होना: जैसे ही जयद्रथ सामने आया, श्री कृष्ण ने ग्रहण समाप्त कर दिया. अचानक सूर्य फिर से चमकने लगा.
अर्जुन का वध: सूर्य के दोबारा प्रकट होते ही अर्जुन ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की और जयद्रथ का वध कर दिया.
इस घटना ने अर्जुन के जीवन को बचाया और महाभारत युद्ध की दिशा भी बदली.












Leave a Reply