अंकोल//अंकोल को एक खास आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है, जिसके पत्तों, टहनियों और फलों में अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद में प्राचीन समय से ही कई अलग-अलग समस्याओं का इलाज करने के लिए इससे दवाएं बनाई जाती हैं

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अंकोल

अंकोल का वृक्ष विषेश कर दो प्रकार का होता है एक श्वेत तथा दुसरा काला श्वेत की अपेक्षा काले अंकोल को अति दुर्लभ एवं तीव्र प्रभावशाली माना गया है परंतु यह बहुत कम मात्रा मे ही यदा-कदा देखने को मिल जाता है। अंकोल का वृक्ष 35-40 फीट तक उंचा तथा 2-3 फीट तक चैड़ा होता है।
इसके तने का रंग सफेदी लिए हुए भुरा होता है। प्रारंभ में जहां पर नवीन पत्र शाखायें निकलती हैं वह कंटक उक्त होते हैं परंतु बाद में वही कांटे डालियों की शक्ल ले लेती हैं। इसके कच्चे फल हरे तथा पकने पर काले हो जाते हैं जो जामुन की तरह दिखई देती हैं।
अंकोल को एक खास आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है, जिसके पत्तों, टहनियों और फलों में अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद में प्राचीन समय से ही कई अलग-अलग समस्याओं का इलाज करने के लिए इससे दवाएं बनाई जाती हैं और आजकल इसे एक घरेलू नुस्खे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। अंकोल का पेड़ प्रमुख रूप से भारत में पाया जाता है और इसे अनकोलम के नाम से भी जाना जाता है। आजकल मार्केट में अंकोल का तेल, सूखे बीज व अन्य कई उत्पाद आसानी से मिल जाते हैं।

अस्थमा के लक्षणों को कम करने में प्रभावी है अंकोल।
अंकोल के पत्तों में खास प्रकार के औषधीय गुण होते हैं, जिनकी मदद से सांस फूलना, नाक बंद होना व अस्थमा के अन्य लक्षणों को दूर करने में मदद मिल सकती है।

अंकोल पेड़ की छाल तन और जड़ से विष निवारक औषधि बनायीं जाती है यदि इसकी जड़ को पानी में घिसकर सर्पदंश व्यक्ति के मुंह में डाल दी जाय तो उसका जहर तुरंत समाप्त हो जाता है

अंकोल के सेवन से रखें हृदय को स्वस्थ
अंकोल को ऐसी जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है, जिसकी मदद से बढ़े हुए रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए इन दोनों को सामान्य स्तर में रखना जरूरी होता है।

मिर्गी के दौरे में असरदार
मिर्गी का दौरा एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज का दिमाग ठीक से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है। ऐसी अवस्था में अंकोल आपके लिए घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे की तरह काम करता है। बता दें कि अंकोल के पत्तों में ट्राइटरपीन (Trighterpin) , टैनिन और कुछ स्टेरॉइड की मात्रा उपलब्ध रहती है, जो आपकी शरीर में मिर्गी जैसी स्थिति को काबू करते हैं।

डायरिया
डायरिया या दस्त लगना एक कष्टदाई रोग है। इसमें पेट दर्द के साथ-साथ बरवनार मल त्याग करना पड़ता है, जिसके कारण शरीर में कमज़ोरी आ जाती है। ऐसे में अंकोल का फल एक औषधि के रूप में काम करता है। अंकोल का फल खाने से डायरिया में बहुत जल्दी आराम आने लगता है। डायरिया के दौरान शरीर को मजबूत बनाने के लिए हाई पोटैसियम फूड खाना चाहिए और अंकोल में हाई पोटैशियम की प्रचुरता भरपूर पाई जाती है।

डेंगू में मददगार
डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी में भी अंकोल के पत्तों और फलों का इस्तेमाल कर हम अपने करीबियों को ठीक कर सकते है। अंकोल के पत्तों को गर्म कर शरीर पर लगाने से तेज़ बुखार में आराम मिलता है। अंकोल के फलों का पल्प निकलकर उससे अच्छे से पीसकर लगाएं। इससे शरीर में उठ रहे दर्द से राहत मिलती है। साथ ही अंकोल की जड़ों का चूर्ण और सूखी अदरक साथ में लेने से डेंगू जल्दी ठीक हो जाता है। डेंगू के मरीजों को अंकोल का सेवन अवश्य करना चाहिए।

बवासीर में मददगार
बवासीर की स्थिति में आपके गुदो में सूजन हो जाती है, जो अत्यंत पीड़ादायक हो सकती है। इसकी वजह से गुदा के अंदर और बाहर की जगहों पर मस्से बन जाते हैं। यह बेहद पीड़ादायक समस्या है। इससे ग्रस्त लोग अंकोल का सेवन कर दर्द से राहत पा सकते है। अंकोल में मौजूद विटामिन सी पाइल्स के लिए अच्छे माने जाते है। अंकोल में सूजनरोधक गुण होता है जो गूदा में सूजन काम करता है। इससे बवासीर के रोगियों को काफी राहत मिलती है।

रूमेटाइड अर्थराइटिस
एक प्रकार का हड्डियों का विकार है। इसमें आपको हड्डियों में सूजन संबंधित समस्याएं होती हैं साथ ही जोड़ों में भी दर्द होता है। सूजन के कारण इसका बुरा परिणाम शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में अंकोल का सेवन बहुत लाभदायक साबित होता है। इसमें मौजूद अल्कालॉइड्स ट्रिटरपिनॉइड्स, फ्लेवनॉइड्स और सपोनिन्स रूमेटॉइड अर्थराइटिस से राहत दिलाते हैं। दर्द के साथ-साथ सूजन को भी कम करते हैं।

ये पोस्ट सिर्फ जानकारी देती है अंकोल का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह अवश्य

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