लक्ष्यों के बारे में भूल जाएँ, इसके बजाय सिस्टम्स पर ध्यान केंद्रित करें।
आधुनिक बुद्धिमत्ता का दावा है कि हम जीवन में जो चाहते हैं बेहतर फ़िटनेस हासिल करना, सफल व्यवसाय चलाना, ज़्यादा तनाव रहित रहना और कम चिंता करना, मित्रों और परिवार के साथ ज़्यादा समय बिताना उसे हासिल करने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि हम स्पष्ट लक्ष्य तय करें, जिनकी दिशा में हम काम कर सकें।
कई सालों तक मैंने भी अपनी आदतों के साथ यही किया। मैं हर आदत को एक लक्ष्य बना लेता था, जिस तक मैं पहुँचना चाहता था। मैंने लक्ष्य तय किए कि मैं स्कूल में कौन-से ग्रेड पाना चाहता हूँ, जिम में कितना वज़न उठाना चाहता हूँ, व्यवसाय में कितना मुनाफ़ा कमाना चाहता हूँ आदि। मैं कुछ लक्ष्यों तक पहुँचने में सफल हुआ, लेकिन ज़्यादातर में असफल रहा। अंततः मुझे इस बात का अहसास होने लगा कि
मेरे परिणामों का मेरे लक्ष्यों से बहुत कम संबंध था; इनका लगभग पूरा संबंध तो उन सिस्टम्स से था, जिन पर मैं चलता था।
सिस्टम्स और लक्ष्यों में क्या अंतर है? यह एक ऐसा अंतर है, जिसे मैंने सबसे पहले स्कॉट एडम्स से सीखा था, जो डिलबर्ट कॉमिक के कार्टूनिस्ट हैं। लक्ष्य का मतलब है वे परिणाम, जिन्हें आप हासिल करना चाहते हैं। सिस्टम्स का मतलब है वे प्रक्रियाएँ, जो उन परिणामों की ओर ले जाती हैं।
1 यदि आप कोच हैं, तो चैंपियनशिप जीतना आपका लक्ष्य होता है। आप किस तरह खिलाड़ियों को नियुक्त करते हैं, अपने असिस्टेंट कोचेस का प्रबंधन करते हैं और अभ्यास कराते हैं ये सभी सिस्टम्स हैं।
2 यदि आप उद्यमी हैं, तो आपका लक्ष्य मिलियन डॉलर का व्यवसाय बनाना हो सकता है। आपका सिस्टम यह है कि आप अपने प्रॉडक्ट्स संबंधी विचारों का परीक्षण कैसे करते हैं, कर्मचारियों को कैसे नियुक्त करते हैं और विज्ञापन अभियान कैसे चलाते हैं।
3 अगर आप संगीतकार हैं, तो आपका लक्ष्य एक नई धुन बजाना हो सकता है। आपका सिस्टम यह है कि आप कितनी ज़्यादा बार अभ्यास करते हैं, आप मुश्किल टुकड़ों को कैसे तोड़ते और सँभालते हैं और अपने प्रशिक्षक से कैसे फ़ीडबैक लेते हैं।
अब रोचक प्रश्न आता है: अगर आप अपने लक्ष्यों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दें और सिर्फ अपने सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करें, तब भी क्या आप सफल हो सकते है? मिसाल के तौर पर, अगर आप बास्केटबॉल कोच हों और चैंपियनशिप जीतने के अपने लक्ष्य को नज़रअंदाज़ करके सिर्फ इस पर ध्यान केंद्रित करें कि आपकी टीम अभ्यास में हर दिन क्या करती है, तब भी क्या आपको परिणाम मिलेंगे?
मैं सोचता हूँ कि आपको मिलेंगे।
किसी भी खेल में लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ मैच ख़त्म करना है, लेकिन यह मूर्खतापूर्ण होगा कि पूरे मैच में आप सिर्फ़ स्कोरबोर्ड को ही घूरते रहें। सचमुच जीतने का एकमात्र तरीक़ा यह है कि आप हर दिन बेहतर बनने पर ध्यान केंद्रित करें। तीन बार सुपर बोल के विजेता रह चुके बिल वॉल्श के शब्दों में, “स्कोर अपनी परवाह खुद कर लेता है।” यही जीवन के अन्य क्षेत्रों के बारे में सच है।
अगर आप बेहतर परिणाम चाहते हैं, तो लक्ष्य तय करने के बारे में भूल जाएँ। इसके बजाय अपने सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करें।
मेरी बात का क्या मतलब है? क्या लक्ष्य बिलकुल ही अनुपयोगी हैं? ज़ाहिर है, ऐसी बात नहीं है। लक्ष्य दिशा तय करने के मामले में अच्छे होते हैं, लेकिन जहाँ प्रगति की बात आती है, सिस्टम्स सर्वश्रेष्ठ होते हैं। अगर आप अपने लक्ष्यों के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा सोचें और अपने सिस्टम्स बनाने में पर्याप्त समय नहीं लगाएँ, तो कई समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं।
विजेताओं और पराजितों के समान लक्ष्य होते हैं।