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“यदि आप “लोभ और अहंकार” से स्वयं को मुक्त कर सकते हो, और “ब्रह्मचर्य” का पालन कर सकते हो तो आध्यात्मिक साधना आपके लिए है, अन्यथा भूल जाइये॥”
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कल रात्रि को ध्यान में जगन्माता का उपरोक्त संदेश मुझे मिला जिसे ज्यों का त्यों यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ। भगवान ने बस ये दो ही शर्तें रखी हैं — (१) लोभ और अहंकार से मुक्ति, और (२) ब्रह्मचर्य का पालन॥
कोई तीसरी कोई बात नहीं कही है। यदि किसी को ये स्वीकार्य नहीं है, तो कोई बात नहीं। संसार में असंख्य लोग नित्य जन्म लेते हैं, और काल-कवलित होते हैं। आप भी उनमें हैं। आपकी आवश्यकता भगवान को नहीं है।
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भगवान ने आपको “विवेक” दिया है जिसके प्रकाश में आप जीवन-यापन कीजिये। इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं कहना है। ॐ तत्सत्॥
कृपा शंकर
११ जुलाई २०२४

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