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अबू धाबी स्थित भारतीय दूतावास के मुताबिक़ यूएई में क़रीब साढ़े तीन लाख भारतीय रहते हैं.

गल्फ़ न्यूज़ के पूर्व संपादक बॉबी नकवी कहते हैं, ”किसी भी मौत की सज़ा की पुष्टि ऊपरी अदालत करती है. इसके बाद संघीय सुप्रीम कोर्ट से भी इसे प्रक्रिया के तहत ग़ुज़रना होता है. जहां तक सज़ा देने की बात है आख़िरी मंज़ूरी वहां के शासक से मिलने के बाद ही इसे अमल में लाया जाता है. इन सब के बीच पीड़ित परिवार चाहे तो वो भी अभियुक्त को माफ़ कर सकता है.”

यूएई में सारी क़ानूनी कार्यवाही अरबी भाषा में होती है. हालांकि जिन लोगों को अरबी नहीं आती है, उनको अनुवादक के ज़रिए पूरी बात बताई जाती है.

वहां हत्या, जासूसी, नाबालिग के साथ रेप, डकैती, नशीले पदार्थों की तस्करी और दंगा जिसमें किसी व्यक्ति की मौत हो गई है, जैसे मामलों में मौत की सज़ा का प्रावधान है.

यूएई में त्रिस्तरीय कोर्ट हैं. निचली अदालत के बाद कोर्ट ऑफ़ अपील है. फिर सुप्रीम कोर्ट है जहां किसी भी मामले की आख़िरी अपील हो सकती है.

वहां न्यायिक पुलिस अधिकारी के पास जांच और सुबूत इकट्ठा करने की ज़िम्मेदारी होती है. ये अधिकारी अटॉर्नी जनरल की देख-रेख मे काम करते हैं. क़ानून की धारा 46-47 में यूएई सरकार ने बताया है कि किस तरह अभियुक्त की ग़िरफ़्तारी की जा सकती है.

आर्टिकल 48 के मुताबिक़ ग़िरफ़्तारी के बाद अभियुक्त को अधिकार है कि वह अपनी बेगुनाही का सबूत दे सकता है.

निचली अदालत से मृत्यु दंड मिलने के बाद जब तक सेशनकोर्ट इस पर मुहर ना लगाए तब तक सज़ा पर रोक लगी रहती है. इस कोर्ट के बाद अभियुक्त या उसका पक्ष संघीय सुप्रीम कोर्ट में भी सज़ा के ख़िलाफ़ अपील कर सकता है.

शहज़ादी ख़ान के मामले में उनके घरवालों ने आरोप लगाया था कि उन्हें सही क़ानूनी सहायता नहीं मिली थी. हालांकि यूएई में काम कर रहे क़ानूनी सलाहकार इस पर अलग राय रखते हैं.

चाणक्यात्स कंसलटेंसी में एडवोकेट अश्विन चतुर्वेदी कहते हैं, ”सभी अपराधियों को फ़ेयर ट्रायल दिया जाता है. न्यायिक व्यवस्था ऐसी है कि कोई भी बिना वकील के नहीं रह सकता है. जिसकी आर्थिक हालत प्राइवेट वकील रखने की नहीं है, उनके लिए भी न्यायिक प्रक्रिया के तहत वकील की व्यवस्था की जाती है. सिविल मामलों में भी उन्हें कम पैसों में क़ानूनी सहायता दी जाती है.”

यूएई में मानवधिकार उल्लंघन के मामलों को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 2023 की रिपोर्ट में बताया था कि खाड़ी देशों में मौत की सज़ा देने के मामले में सऊदी अरब और ईरान सबसे आगे हैं.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक 2023 में 16 देशों में कुल 1153 लोगों को मौत की सज़ा दी गई.

वैसे यूएई के क़ानून काफी सख्त हैं, लेकिन हत्या के मामलों में एक ‘ब्लड मनी’ देने का तरीक़ा भी है.

इसमें अगर पीड़ित के परिवार वाले अगर चाहें तो अभियुक्त पक्ष से पैसा लेकर अभियुक्त को माफ़ी दे सकते हैं.

इस तरह से दोनों पक्षों के बीच सहमति बनने पर अभियुक्त को आज़ाद किया जा सकता है.

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बचाने के लिए ब्लड मनी देने की बात की जा रही है.

निमिषा प्रिया के मामले में मनोरमा ऑनलाइन के मुताबिक़ निमिषा के वकील सुभाष चंद्रन के हवाले से दावा किया गया है कि ब्लड मनी की बातचीत की शुरुआत करने के लिए तकरीबन 40,000 डॉलर दिए गए हैं.

निमिषा प्रिया 2017 से यमन की राजधानी सना में क़ैद हैं. उन पर तलाल अब्दुल महदी नाम के शख़्स की हत्या का आरोप है.

आरोप के मुताबिक़ निमिषा ने महदी को नशीला इंजेक्शन दिया था, जो उनकी मौत का कारण बना.

वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, ”हम यमन में निमिषा प्रिया को सज़ा सुनाए जाने से अवगत है. हम समझते हैं कि परिवार क़ानूनी विकल्पों को तलाश रहा है. भारत सरकार परिवार की हरसंभव मदद कर रही है.”

प्रशिक्षित नर्स निमिषा प्रिया 2008 में केरल से यमन गई थीं. राजधानी सना में उन्हें एक सरकारी अस्पताल में काम मिला था.

निमिषा के पति टॉमी थॉमस ने बीबीसी से बताया था कि वे भी 2012 में शादी के बाद सना गए थे लेकिन उन्हें कोई ठीक नौकरी नहीं मिली जिसके कारण आर्थिक दिक्क़तें बढ़ गईं और 2014 में वह अपनी बेटी के साथ कोच्चि लौट गए.

2014 में निमिषा ने कम वेतन वाली नौकरी छोड़ कर एक क्लीनिक खोलने का फ़ैसला लिया. यमन के क़ानून के तहत ऐसा करने के लिए स्थानीय पार्टनर होना ज़रूरी है और महदी उनके पार्टनर बने.

महदी एक कपड़े की दुकान चलाते थे और उनकी पत्नी ने उसी क्लीनिक में बच्ची को जन्म दिया था, जहां निमिषा काम करती थीं. जनवरी, 2015 में निमिषा, जब भारत आईं तो महदी उनके साथ आए थे.

निमिषा और उनके पति ने अपने दोस्तों और परिवार से पैसे लेकर क़रीब 50 लाख रुपये की राशि जुटाई और एक महीने बाद निमिषा अपना क्लीनिक खोलने यमन लौट गईं.

निमिषा की मां प्रेमा कुमारी की ओर से 2023 में दिल्ली हाई कोर्ट में डाली गई याचिका में कहा गया है, “महदी ने निमिषा के घर से उनकी शादी की तस्वीरें चुरा ली थीं और बाद में इससे छेड़छाड़ कर ये दावा किया कि उन्होंने निमिषा से शादी कर ली है.”

विदेश मंत्रालय ने संसद में बताया कि जो भारतीय विदेश में रह रहे हैं, सरकार उनके कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और निमिषा प्रिया मामले में भी सरकार परिवार की हर मुमकिन मदद कर रही है.

लखनऊ स्थित हाईकोर्ट बेंच में वकील सायमा ख़ान कहती हैं, “वियना संधि, 1963 के तहत, दूतावास को यह अधिकार है कि वह अपने नागरिक को क़ानूनी सहायता प्रदान करे और यह सुनिश्चित करे कि मुक़दमे की सुनवाई के दौरान उसके साथ कोई अन्याय न हो.”

इस मामले में दूतावास संबंधित देश की सरकार से औपचारिक रूप से अपील कर सकता है कि वह निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करे और अभियुक्त को उच्चतम स्तर की क़ानूनी सहायता मिले.

भारत और यूएई के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत, विशेष परिस्थितियों में अभियुक्त को भारत लाने की कोशिश भी की जा सकती है.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है, जिसे भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाकर मानवाधिकार संरक्षण की दलील दे सकता है.

Source :Gulf News

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