कलियुग में मनुष्य अपने कर्मों का फल भुगतेंगे और बेमौसम बारिश, आंधी-तूफान, जल संकट का सामना करेंगे.
हिंदू शास्त्रों के अनुसार अब तक 3 युग सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग बीत चुके हैं और जो चल रहा है वह कलियुग है. पुराणों के अनुसार, कलियुग के साथ ही दुनिया समाप्त हो जाएगी. कलियुग में धरती पर अन्य युगों से ज्यादा अधर्म और पाप बढ़ता जाएगा. शास्त्रों में बताया गया है कि भविष्य में धरती पर कलियुग इस से भी ज्यादा भयंकर होगा.
गीता में 4 युगों की व्याख्या
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में बताया है कि धरती पर 4 युग होंगे. सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग. सतयुग में धरती पर धर्म का बोलबाला था. त्रेतायुग में धर्म के साथ-साथ अधर्म भी चलन में आया. द्वापरयुग में अधर्म और पाप ने धरती पर अपनी जगह बना ली. अभी कलियुग में धरती पर धर्म से ज्यादा पाप है. गीता में ये भी कहा गया है कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ेगा भगवान धरती का कल्याण करने जरूर आयेंगे.
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कलियुग में जिन लोगों को धर्म का अल्प ज्ञान होगा वह भी धर्म का गलत तरीके से प्रचार करेंगे पाखंड को फैलाएंगे और धर्म कर्म से हटकर भूत प्रेत मसान को भी देवता मानकर पूजा शुरु कर देंगे जिससे की सामाजिक और धर्म व्यवस्था प्रभावित होगी इसका प्रभाव भी लोगों के जीवन और आयु को प्रभावित करेगा।”
कलियुग में पांच छह और सात वर्ष की स्त्री और आठ नौ या दस वर्ष के पुरुषों के ही संतान हो जाएगी। बारह वर्ष की अवस्था में ही लोगों के बाल पकने लगेंगे। कोई भी व्यक्ति 20 वर्ष की आयु से अधिक जीवित नहीं रहेगा।