धार्मिक कथा के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से जहां-जहां पर अमृत की बूंदें गिरीं वहां-वहां पर कुंभ का आयोजन होता है। हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में कुंभ का आयोजन होता है, लेकिन महाकुंभ का आयोजन सिर्फ प्रयागराज में होता है। प्राचीन शिलालेखों में महाकुंभ का पहला जिक्र मिलता है।
कुंभ मेले की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी, ऐसा माना जाता है. हालांकि, कुछ कथाओं के मुताबिक, कुंभ मेले की शुरुआत समुद्र मंथन के समय से ही हुई थी.
कुंभ मेले से जुड़ी कुछ खास बातें:
कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में होता है.
कुंभ मेले का आयोजन चार जगहों पर होता है – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, और नासिक.
कुंभ मेले को धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
कुंभ मेले का उल्लेख कई पौराणिक और ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलता है.
कुंभ मेले की शुरुआत धर्म, संस्कृति, और एकता को बढ़ावा देने के लिए की गई थी.
कुंभ मेले की शुरुआत के पीछे समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा है.
कुंभ मेले के दौरान, साधु-महात्मा देश-काल-परिस्थिति के मुताबिक, लोक-कल्याण की दृष्टि से धर्म का प्रचार करते हैं.
मान्यता है कि हर 144 साल में एक विशेष महाकुंभ का आयोजन होता है.