“पौराणिक कथा: ऋषि दुर्वासा का तप भंग करने पहुंची वपु अप्सरा का हुआ ये हाल, पक्षी बनकर गुजारने पड़े सोलह साल”
“पौराणिक काल में कई महान ऋषि हुए जिनके तप से स्वर्गलोक में बैठे इंद्र का सिंहासन पर खतरा आ जाता था। इनमें से एक थे ऋषि दुर्वासा। ऋषि दुर्वासा अपने क्रोध के लिए जाने जाते थे। बड़े से बड़ा शख्स उनसे खौफ खाता था। वैसे तो इंद्र ऋषियों की तपस्या भंग करने के लिए स्वर्ग की सुंदर अप्सराओं को धरती पर भेजते थे। मगर दुर्वासा ऋषि की तपस्या भंग करने की हिम्मत किसी भी अप्सरा में नहीं थी। एक बार वपु नाम की सुंदर अप्सरा ऋषि दुर्वासा की तपस्या भंग करने पहुंची, तो ऋषि ने उसका ऐसा हाल किया कि उसे सोलह साल पक्षी बनकर गुजारने पड़े। पढ़ें ऋषि दुर्वासा और वपु”
“पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार नारद मुनि इंद्रलोक पहुंचे। इंद्रलोक में उर्वशी, रंभा, घृताची, मेनका समेत कई अप्सराएं थीं, जिनके सुंदरता के चर्चे दूर-दूर तक थे। ये सभी अपनी नृत्यकला और सुंदरता से इंद्र लोक की शोभा बढ़ाती थीं। एक बार नारद मुनि देवलोक पहुंचे। उन्होंने सभी अप्सराओं को बुलाया और पूछा कि उनमें से कौन श्रेष्ठ है।”
सभी अप्सराओं में खुद को श्रेष्ठ बताने की होड़ लग गई। कोई अपनी सुंदरता के कारण खुद को श्रेष्ठ बताने लगी। वहीं कोई खुद को नृत्यकला में पारंगत बताकर खुद को श्रेष्ठ कहने लगी। नारद मुनि ने श्रेष्ठता की परीक्षा लेने की एक तरकीब बताई। उन्होंने कहा कि जो अप्सरा महान तपस्वी ऋषि दुर्वासा का तप भंग कर देगी, वही श्रेष्ठ होगी।
ऋषि दुर्वासा के गुस्सैल स्वभाव के कारण अप्सराएं चुप हो गईं। उनमें से एक वपु नाम की अप्सरा ने नारद मुनि की चुनौती स्वीकार कर ली। वपु ने कहा कि वह ऋषि दुर्वासा का तप भंग करके खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए तैयार है। वपु के अलावा कोई भी अप्सरा इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुई।
वपु धरती लोक पर आई और जहां ऋषि दुर्वासा तपस्या कर रहे थे वहां पहुंच गई। वपु अपनी सुरीली आवाज से संगीत गुनगुनाने लगी। वपु की मधुर ध्वनि जब ऋषि के कानों में पड़ी तो एकाएक उनका ध्यान भटक गया। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा तो वपु दिखाई दी। जब उन्हें पता चला कि ये एक अप्सरा का काम है तो उन्हें बहुत क्रोध आया।
ऋषि दुर्वासा अपने क्रोध के लिए जाने जाते थे। उनसे बड़े से बड़ा शख्स भी खौफ खाता था। वपु अप्सरा का हुआ ये हाल, पक्षी बनकर गुजारने पड़े सोलह साल