मुसलमानों को सड़क पर नमाज़ पढ़ने से बचना चाहिए
मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि जुमा, अलविदा जुमा, ईद और बकरीद की नमाज़ सड़क पर नहीं पढ़नी चाहिए। सड़कें आमजन के लिए होती हैं और वहां पर लोग हगते और मूतते हैं, जिससे सड़कें अपवित्र हो जाती हैं।
सजदा एक पवित्र क्रिया है, इसे गंदी और अपवित्र जगह पर नहीं पढ़ना चाहिए
सजदा एक पवित्र क्रिया है जिसमें मुसलमान “सुब्हान रब्बी अल-अला'” पढ़ते हैं, जिसका अर्थ है “मेरे सबसे महान रब की महिमा हो”। इसे गंदी और अपवित्र जगह पर नहीं पढ़ना चाहिए। इससे न केवल मुसलमानों की भावनाएं आहत होती हैं, बल्कि यह इस्लाम के मूल्यों के विरुद्ध भी है।
इस्लाम एक लचीला धर्म है, मस्जिद में जमात में नमाज़ पढ़ना बेहतर है
इस्लाम एक लचीला धर्म है जिसमें हर हालात के लिए व्यवस्थाएं हैं। मस्जिद में जमात में नमाज़ पढ़ना बेहतर है, जिससे किसी के धर्म को खतरे में लाने से बचा जा सकता है। इससे मुसलमानों को अपने धर्म का पालन करने का अवसर मिलता है और साथ ही सामाजिक सौहार्द भी बना रहता है।
प्यार बांटें, नफरत मिटाएं, हम सभी हिंदुस्तानी हैं
आखिरकार, हमें प्यार बांटना चाहिए और नफरत को मिटाना चाहिए। हम सभी हिंदुस्तानी हैं और हमें अपने देश को सबसे पहले रखना चाहिए। हमें अपने मतभेदों को भूलकर एक दूसरे के साथ मिलकर रहना चाहिए और अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना चाहिए।
देश को सबसे पहले रखें, इरशाद खान मुंडन की अपील
इरशाद खान मुंडन की अपील है कि हमें अपने देश को सबसे पहले रखना चाहिए। हमें अपने व्यक्तिगत हितों को देशहित के ऊपर नहीं रखना चाहिए। हमें अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए।
इरशाद खान मुंडन जिला मीडिया प्रवक्ता भाजपा अल्पसख्यक मोर्चा सहारनपुर उत्तर प्रदेश