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आठ प्रहर हिन्दू धर्म के अनुसार दिन-रात को 24 घंटे में विभाजित करने का एक तरीका है। इसमें दिन के चार प्रहर और रात के चार प्रहर शामिल होते हैं, प्रत्येक प्रहर लगभग तीन घंटे का होता है.
दिन के चार प्रहर:
पूर्वाह्न: सूर्योदय से दोपहर तक.
मध्याह्न: दोपहर से अपराह्न तक.
अपराह्न: दोपहर बाद से सायंकाल तक.
सायंकाल: सूर्यास्त से प्रदोष तक.
रात के चार प्रहर:

  1. प्रदोष:
    सूर्यास्त के बाद से रात के पहले प्रहर तक.
  2. निशिथ:
    रात के पहले प्रहर से मध्यरात्रि तक.
  3. त्रियामा:
    मध्यरात्रि के बाद से उषा काल तक.
  4. उषा:
    उषा काल से सूर्योदय तक.
    इन प्रहरों को धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-अर्चना और संगीत के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.
    हर एक प्रहर का धार्मिक महत्व है, जिसमें किए जानें वाले अलग-अलग कार्य बनाए गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग प्रहर का ध्यान रखते हुए अपना कार्य करते हैं उनके कार्यों में कभी किसी प्रकार का विघ्न नहीं पड़ता है।
    वहीं वैष्णव मंदिरों में आठ प्रहर की पूजा होती है, जिसे ‘अष्टयाम’ के नाम से जाना जाता है। इसलिए जो जातक अपने कार्यों का शुभ परिणाम चाहते हैं, उन्हें इन प्रहरों के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए।

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