आगे बढ़ने वाला व्यक्ति कभी ” किसी को बाधा नहीं पहुंचाता ” और ” ” दूसरों को बाधा पहुंचाने वाला ” व्यक्ति कभी आगे नहीं बढ़ता । ” कोई अगर आपके अच्छे कार्य पर संदेह करता है… तो करने देना क्योंकि शक सदा सोने की शुद्धता पर किया जाता है… कोयले की कालिख पर नहीं ” …! लोगों की बातों को अगर अपने ऊपर बोझ बनाकर डालोगे तो उनके नीचे दब जाओगे, बेहतर यही है कि उनकी बातों को नजरंदाज करके अपनी मंजिल पर पहुंचने की कोशिश करो, यक़ीनन एक दिन आप अपनी मंजिल तक पहुंच जाओगे ।
चरित्र एक वृक्ष है और प्रतिष्ठा,यश, सम्मान उसकी छाया लेकिन विडंबना यह है कि वृक्ष का ध्यान बहुत कम लोग ही रखते हैं जबकि छाया सबको ही चाहिये। एक कहावत है कि धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया और चरित्र गया तो सब कुछ गया । इसलिए हमें चरित्र ( जीव हत्या,चोरी,व्यभिचार , भ्रष्टाचार, और किसी भी तरह की नशा प्रवृति, ) रुपी वृक्ष का बहुत ही ज्यादा ध्यान रखना चाहिये क्योंकि ये सब ही चरित्र रुपी वृक्ष का पतन का कारण होते हैं ।
किसी मनुष्य में उसकी बुराईयों को ढूंढ कर उजागर करना “आम” लोगों की धारणा होती है..! लेकिन उन बुराईयों में भी कोई अच्छाई ढूंढना “खास” लोगों की पहचान होती है..! कबीर दास ने कहा भी है कि बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय और जो दिल खोजा आपना तो मुझसे बुरा न कोय। कुछ लोगों की आदत में शुमार होता है कि हर काम में मीन-मेख निकालना जबकि उस काम को करने में स्वयं असमर्थ होते हैं । कुछ लोगो की विशेषता होती है कि धीरे से कोई छुरछरी छोड़ कर पीछे से आनन्द लेने की या दूसरे शब्दों में दूसरों के कन्धों पर बंदूक रखकर चलाने की। इसलिए हम लोग यदि वास्तविक रुप से तथागत बुद्ध या अपने किसी भी महापुरुषों को मानते हैं तो हमें हमारी भावनाओं को हमेशा सकारात्मक कार्यों में ही लगाना चाहिए ।
“चन्दन” से “वन्दन” ज्यादा “शीतल” होता है, “योगी” होने की बजाय “उपयोगी” होना ज्यादा अच्छा है । “प्रभाव ” अच्छा होने की बजाय “स्वभाव” अच्छा होना ज्यादा अच्छा है । हंसता हुआ चेहरा आप की शान बढ़ाता है मगर …हंसकर किया गया कार्य …आप की पहचान बढ़ाता है…!
