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भक्तवत्सल भगवान

एक समय लक्ष्मी जी विष्णु जी को भोजन करा रही थी, विष्णु जी ने पहला ग्रास मुंह में लेने से पहले ही हाथ रोक लिया, और उठ कर चले गए ।

लौट कर आने पर भोजन करते करते लक्ष्मी जी ने उठकर जाने का कारण पूछा तो ,विष्णु जी बोले मेरे चार भक्त भूखे थे। उन्हें खिला कर आया हूं ।

लक्ष्मी जी ने परीक्षा लेने के लिए दूसरे दिन एक छोटी सी डिबिया में 5 चीटियों को बंद किया और विष्णु जी को भोजन परोसा प्रभु ने भोजन किया तो लक्ष्मी जी बोली आज आपके 5 भक्त भूखे हैं और आपने भोजन पा लिया प्रभु ने कहा ऐसा हो ही नहीं सकता तो लक्ष्मी जी ने तुरंत डिबिया खोली और अचरज से हक्की बक्की हो गई। क्योंकि हर चींटी के मुंह में चावल के कण थे।

लक्ष्मी जी ने पूछा बंद डिबिया में चावल कैसे आए, आपने कब डालें तब प्रभु ने सुंदर जवाब दिया देवी आपने चीटियों को डिब्बी में बंद करते समय जब माथा टेका तभी आप के तिलक से एक चावल का दाना डिब्बी में गिर गया और चीटियों को भोजन मिल गया।

पालनहार सबका ध्यान रखते हैं आवश्यकता विश्वास की है।

ॐ नमो नारायण प्रभु जी

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