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कहते हैं कि विश्वामित्र जन्म से ब्राह्मण नहीं, बल्कि क्षत्रिय थे।

उन्हें राजा कौशिक के नाम से जाना जाता था। एक बार उनकी मुलाकात महर्षि वशिष्ठ से हुई और फिर कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने तप शुरू कर दिया और वेद-पुराण का ज्ञान लेकर महान ऋषि बन गए।
ऋषि विश्वामित्र से जुड़ी कुछ पौराणिक कहानियांः
ऋषि विश्वामित्र, रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक हैं. वे राम और उनके भाई लक्ष्मण के गुरु थे. राम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है.

ऋषि विश्वामित्र ने राम को देवस्त्रों का ज्ञान दिया और उन्हें ताड़का, मारीच, और सुबाहु जैसे राक्षसों से लड़ने में मदद की. 

ऋषि विश्वामित्र पहले राजा कौशिक थे. एक बार उनकी मुलाकात ऋषि वशिष्ठ से हुई और फिर उन्होंने तप शुरू कर दिया और वेद-पुराण का ज्ञान लेकर महान ऋषि बन गए. 

एक बार ऋषि विश्वामित्र कठोर तप कर रहे थे, तभी इंद्र देव ने सुंदर अप्सरा रंभा को उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा. रंभा की कामुक अदाओं से ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग हो गई. क्रोधित होकर ऋषि विश्वामित्र ने रंभा को पत्थर की मूर्ति बनने का श्राप दे दिया. 

ऋषि विश्वामित्र ने त्रिशंकु को स्वर्ग में भेजा था. स्वर्ग पहुंचने पर इंद्र आदि देवताओं ने भी उन्हें स्थान नहीं दिया. इस पर ऋषि विश्वामित्र को क्रोध आ गया और उन्होंने त्रिशंकु के लिए दूसरी सृष्टि का निर्माण करना शुरू कर दिया. 

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