भारत-रूस के बीच बड़ा रक्षा समझौता: पुतिन की यात्रा से पहले रसद समर्थन को मंजूरी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा से ठीक पहले, रूस की संसद के निचले सदन स्टेट ड्यूमा ने भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य रसद समझौते को हरी झंडी दे दी है।
🛡️ समझौते की मुख्य बातें:
नाम: इस समझौते को रसद समर्थन के पारस्परिक आदान-प्रदान (RELOS) संधि के रूप में जाना जाता है।
अनुमोदन: यह मूल रूप से 18 फरवरी को हस्ताक्षरित हुआ था, जिसे अब रूसी ड्यूमा ने अनुमोदित किया है।
फायदा: यह संधि दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के क्षेत्र में परिचालन (operations) करते समय सैन्य परिसंपत्तियों, कर्मियों, जहाजों और विमानों के लिए आपसी रसद समर्थन (Logistical Support) प्रदान करने का एक स्पष्ट तंत्र स्थापित करती है।
अन्य लाभ: इससे हवाई क्षेत्र का पारस्परिक उपयोग और युद्धपोतों को बंदरगाहों पर आने-जाने की अनुमति मिलना आसान हो जाएगा।
स्टेट ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने इस कदम को “पारस्परिकता और हमारे संबंधों के विकास की दिशा में एक और कदम” बताया।
✈️ पुतिन की यात्रा:
राष्ट्रपति पुतिन 4 और 5 दिसंबर को वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली में रहेंगे। इस दौरान रक्षा उपकरण, तकनीक साझेदारी, ईंधन व्यापार और अमेरिकी टैरिफ जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा होने की उम्मीद है। भारत द्वारा S-400 मिसाइल सिस्टम और Su-57 जैसे लड़ाकू विमानों की खरीद पर भी चर्चा हो सकती है।












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